रिलायंस फाउण्डेशन की किसानों को सलाह
- पतझड़ के समय इकठ्ठा किए गए पत्तों से कम्पोस्ट खाद बनाना अत्यंत लाभप्रद होता है। इन पत्तों को आग में नहीं जलाना चाहिए। इससे भूमि की उरर्वक क्षमता की कमी होती है अत: इसका उपयोग कम्पोस्ट खाद बनाने में करें।
- ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द फसलों में रस चूसक कीटों के प्रकोप की संभावना है, इससे फसलों में पीला मोजेक रोग फैलता है, नियंत्रण के लिए इथोफेनप्रॉक्स 10 ईसी दवा 1 लीटर या डाइमिथिएट 30 ईसी दवा को 750 मिली प्रति हेक्टर में 600 से 700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कें।
- गेहूं की पककर तैयार फसल की कटाई समय पर करें। कटाई पूर्व अवांछनीय पौधों को निकाल दें, जिससे दूसरे अवांछनीय बीजों की मिलावट न हो।
उद्यानिकी
- ग्रीष्मकालीन लौकी की बुआई करना चाहते हैं, वे फसल को कतार से कतार 1.5 मीटर एवं पौधे से पौधे की दूरी 1 मीटर रखें, इसके लिए 5 से 6 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टर आवश्यकता होगा। लोकी बीज की बुआई पूर्व थायरम 2 ग्राम+ बाविस्टीन 1 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचारित करें।
- मिर्ची में मकड़ी के प्रकोप की सम्भावना हो सकती है। इसके प्रकोप से पत्ती पीली होकर सूख जाती हैं, इसके नियंत्रण हेतु फेंजाकुइन 10 प्रतिशत ईसी दवा को 1.5 मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
पशुपालन
- पशुओं में खुरपका-मुहपका, भेड़ों में फड़किया रोग का टीका लगवाएं। पशुओं के लिए हरे चारे की मई-जून माह में उपलब्धता हेतु ज्वार चरी की बुआई के लिए खेत तैयार करें। मुॢगयों को इनके दाने में ऊर्जा तथा विटामिन की मात्र बढ़ाये साथ ही साथ केल्शियम भी मिलाकर दें।
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