Horticulture (उद्यानिकी)

सब्जियों की अच्छी फसल के लिए छिड़कें सब्जी स्पेशल

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सूक्ष्म पोषक तत्वों की भूमिका
मृदा एवं पर्णवृन्त विश्लेषण के आधार पर यह पाया गया है कि कुल मिलाकर भारत में उगने वाली 40 से 60 प्रतिशत तक की फसलों में कभी न कभी किसी एक या अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है। इसलिए सब्जियों की उपज एवं गुणवत्ता को बढ़ाने के सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रबंधन महत्वपूर्ण है।
जिंक: जिंक की कमी से पौधों की वृद्वि रूक जाती है। जिंक की कमी से पत्तों की शिरा साफ दिखती है और ऐसे में बाकी पत्ते /पत्रदल/ पटल की अपेक्षा शिरा हरे रंग की दिखती है। फिर भी अगर कमी के लक्षण दिखाई देने से पहले पौधे गुप्त-भूख की स्थिति में हैं तो इनकी वृद्वि एवं पौध-मजबूती में अच्छी प्रगति दिखाई देगी। सब्जियों की अधिक उपज एवं गुणवत्तायुक्त उत्पाद की प्राप्ति सुनिश्चित करने हेतु जिंक की कमी के निराकरण के लिए ‘‘आईआईएचआर सब्जी स्पेशल‘‘ का पत्तों में सीधे छिड़काव की अनुशंसा की जाती है।
लोहा: लोहा क्लोरोफिल का एक अभिन्न कारक है इसीलिए यह पौधों को उचित प्रकाश-संश्लेषण के लिए कम मात्रा में आवश्यक है। पौधों में लोहे की कमी हरित रोग एवं पत्तों व पौधों के सामान्यत: पीला पड़ले के रूप में स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है।

सब्जी स्पेशल से पर्ण-छिड़काव
पौधों को सूक्ष्म पोषक तत्व मृदा में सीधे प्रयोग से या पर्ण-छिड़काव से उपलब्ध किया जाता है। मृदा में प्रयोग की तुलना में पर्ण-छिड़काव से पोषक तत्वों का शीघ्र अवशोषण होता है जिससे अधिक उपज एवं अच्छी गुणवत्ता प्राप्त होती है। सूक्ष्म पोषक तत्वों के पर्ण-छिड़काव से लाभ निम्नलिखित है:
1. दिए गए पोषक तत्वों का मिट्टी में बने रहने को दूर किया जाता है।
2. मृदा के बहाव के साथ पोषक तत्वों के बह जाने को दूर किया जाता है।
3. पौधों को पोषक तत्व शीघ्र प्राप्त होता है।
4. अगर पौधे गुप्त भूख की स्थिति में है, तो पोषक तत्वों के प्रति शीघ्र अनुक्रिया प्रकट करते हैं।
5. सूक्ष्म पोषक तत्वों का समझदारी (कम मात्रा में) से उपयोग।
6. अच्छे आकार एवं रंग के साथ फसल तैयार होती है।

नए एवं पुराने पत्ते लोहे की कमी के लक्षणों को पौधों के हल्के पीलेपन के माध्यम से व्यक्त करते हैं। भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलूर द्वारा विकसित सब्जी स्पेशल में अपेक्षित मात्रा में लोहा शामिल है और इसलिए सब्जी स्पेशल से पौधों पर पर्ण-छिड़काव करने से लोहे की कमी की पूर्ति होती है। और उपापचयी क्रियाशीलता बढ़ जाती है जिससे अच्छी उपज प्राप्त होती है।
बोरॉन: बोरॉन एक प्रमुख सूक्ष्म पोषकतत्व है जो पराग अंकुरण एवं पराग-नली की वृद्वि के लिए सहायक होता है। जिससे सफल उर्वरण किया जा सकता है। बोरॉन की कमी से कम उर्वरण होता है जिससे पुष्पक एवं फल गिरते है। इसलिए पौधों में बोरॉन की कमी की पूर्ति करना आवश्यक है। भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित सब्जी स्पेशल में विभिन्न सब्जियों में बोरॉन की कमी की पूर्ति के लिए आवश्यक बोरॉन की पर्याप्त मात्रा शामिल है।
कब छिड़काव करें ?
सब्जी स्पेशल से सब्जियों में पर्ण-छिड़काव फसल की अवधि के

बागवानी उत्पादों की उत्पादकता और गुणवत्ता में पोषण-प्रबंधन की मुख्य भूमिका है कुल मिलाकर देश भर की अधिकांश मिट्टी में जिंक, बोरॅान, लोहा जैसे किसी एक या अन्य सूक्ष्म पोषकतत्व की कमी रहती है। इन पोषक तत्वों की कमी के कारण उपज में होने वाली हानि अक्सर 50 प्रतिशत से ज्यादा होती है। सब्जियों की व्यावसायिक खेती लाभकारी हो गई है तथा कई छोटे, सीमांत और बड़े जोत हाल ही के वर्षों में सब्जियों की खेती में बदल गए हैं तब भी अंतत: सब्जियों की व्यावसायिक खेती कीट व रोग, जल प्रबंधन, पोषक तत्वों की कमी जैसी उत्पादन संबंधी कई समस्याओं के कारण कम लाभकारी होती जा रही है। उसी समय उर्वरकों और नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश जैसे स्थूल पोषक तत्वों, कीटनाशकों, रसायनिक दवाईयों के अधिक उपयोग के कारण सब्जियों की उत्पादन-लागत दिन व दिन बढ़ती जा रही है। संतुलित पोषण, विशेषकर सूक्ष्म पोषकतत्वों की कमी के प्रबंधन से न केवल उपज एवं गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी होती है वरन पौधों में कीटों व रोगों के विरूद्ध प्रतिरोध-क्षमता भी बढ़ती है। इस तथ्य के बावजूद सब्जियों में सूक्ष्म पोषकतत्वों की कमी के निराकरण के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी की समस्या के समाधान एवं अधिक आर्थिक लाभ के लिए अधिक उपज एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलूर ने एक सूक्ष्म पोषक तत्व मिश्रण विकसित किया है, जो ‘‘सब्जी स्पेशल ‘‘ के नाम से जाना जाता है तथा पर्ण-छिड़काव की इस तकनीकी का मानकीकरण भी किया गया है।

आधार पर कई बार करना अनुशंसित है। अगर फसल छोटी अवधि की हो, तो 50 दिनों से कम की हो, तो बुआई के 10-15 दिनों के बाद केवल एक ही छिड़काव करें।

अगर फसल लंबी अवधि की हो तो छिड़काव को प्रति माह के बाद से तुड़़ाई तक दोहराना चाहिए।
गाढ़ापन एवं मात्रा
सब्जी स्पेशल अनुशंसित मुख्य सब्जियां हैं – टमाटर बैंगन, शिमला मिर्च, मिर्ची, बीन्स, लोबिया, मटर भिण्डी, पत्तागोभी, फूलगोभी, ककड़ी, तुरई, लौकी, करेला, कद्दू आदि। सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता एक फसल से दूसरे फसल में इसकी अवधि के आधार पर अलग-अलग होती है। अलग-अलग फसलों के लिए अलग-अलग गाढ़ता में सब्जी स्पेशल की अनुशंसा की जाती है। फलीदार फसलों के लिए 3 ग्रा./ली. अनुशंसित है। छिड़काव की आवृत्ति फसलों की अवधि पर निर्भर होती है तथा फसलों की तुड़ाई तक प्रति माह के अंतराल में छिड़काव किया जाए। लंबी अवधि की फसलों जैसे टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च, मिर्ची, पत्तागोभी, भिण्डी, प्याज आदि में प्रति माह के अंतराल में 4-5 छिड़काव किया जाए। कददूवर्गीय फसलों में प्रति माह के अंतराल में 1 ग्रा./ली. की अनुशंसा की जाती है।
कैसे तैयार करें ?
सब्जी स्पेशल की आवश्यक मात्रा को पानी की अपेक्षित मात्रा में घोल लें जैसे 1000 ग्रा. सब्जी स्पेशल को 200 ली. पानी में घोल लें। सब्जी स्पेशल को घोलने के बाद इस घोल में 20 नींबू निचोड़ लें

सब्जी स्पेशल क्या है ?
सब्जी स्पेशल एक सूक्ष्म पोषक तत्व मिश्रण है जिसमें जिंक, लोहा, बोरॉन, कॉपर और मैग्नीज शामिल हैं। सब्जी उगाने वाले विभिन्न क्षेत्रों के विस्तृत सर्वेक्षण, मृदा-विश्लेषण एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी की स्थिति की पहचान और सब्जियों के पत्ते एवं पर्णवृन्त के विश्लेषण के आधार पर पोषक तत्वों के अंर्तग्रहण के निर्धारण और पोषक तत्वों के लिए पौधों की गुप्त-भूख की पहचान के लिए भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलूर ने सामान्यत: सब्जी उगने वाली विभिन्न मृदाओं के लिए अनुकूल एक बृहत पोषक तत्व मिश्रण तैयार किया जो एक अद्वितीय उत्पाद है। सब्जी स्पेशल का लाभकारी प्रभाव फसलों को इसके छिड़काने के 72 घंटों में देखा जा सकता है।

और एक समान घोल बनने के लिए इसमें 10 पाउच शैम्पू (प्रत्येक पाउच में 2-3 ग्रा. शैम्पू हो) भी मिला लें। अगर न घुले कोई कण पाया जाता है तो घोल को छान लें, अगर नहीं पाया गया तो सीधे छिड़काव के लिए उपयोग किया जा सकता है। अगर किसी मौसम में नींबू उपलब्ध नहीं है तो भी किसान बिना नींबू के रस के इससे छिड़काव कर सकते हैं। इस सब्जी स्पेशल का सब्जियों के पत्तों पर ऊपर की तालिका में बताए अनुसार छिड़काव करें। यह सलाह दी जाती है कि इस घोल का पत्तों के निचले सतह (पीछे) पर छिड़काव करें। धूप से बचने के लिए सब्जी स्पेशल का या तो सुबह में या शाम के समय छिड़काव करें। छिड़काव की अवधि की ऐसी योजना बनाएं ताकि पौधों पर सब्जी स्पेशल के छिड़काव के कम से कम 24/36 घंटों के अंदर बारिश न आए।

विभिन्न सब्जियों के लिए सब्जी स्पेशल की अनुशंसित मात्रा
सब्जियां मात्रा/ली.पानी
टमाटर, शिमला, मिर्च, 5 ग्रा.
पत्तागोभी, फूलगोभी मिर्ची, बैंगन 3 ग्रा.
बीन्स, लोबिया, मटर, भिण्डी 3 ग्रा.
ककड़ी, तुरई, लौकी, करेला 1 ग्रा.
कद्दू 1 ग्रा.

उपज: अधिक उपज एवं गुणवत्तायुक्त फलों को प्राप्त करने के लिए सब्जी स्पेशल की अनुशंसा की जाती है। इस संस्थान द्वारा संचालित बहु-स्थानीय परीक्षण से पता चला है कि सब्जी स्पेशल का उपयोग पर्ण-छिड़काव के लिए करने से उत्कृष्ट गुणवत्तायुक्त फलों के अतिरिक्त विभिन्न सब्जियों में 20-30 प्रतिशत तक अधिक उपज भी प्राप्त हुई। भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलूर के सब्जी स्पेशल का उपयोग किए किसानों ने भी इसकी पुष्टि की। इसके अतिरिक्त किसानों ने बताया कि सब्जी स्पेशल के उपयोग से तैयार की गई सब्जियों को इनकी उत्कृष्ट गुणवत्ता, जैसे टमाटर का आकार एक रंग तथा पत्तागोभी एवं फूलगोभी की सघनता में सुधार किया। इससे टमाटर, बैंगन, मिर्ची एवं शिमला मिर्च में फूलों का गिरना भी कम हुआ। कृपया निम्न पते पर सम्पर्क करें-
भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान हेसारघट्टा, लेक पोस्ट बंगलोर-560089 (कर्नाटक) फोन : 080-28466471, 28466291, 28466355

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