Crop Cultivation (फसल की खेती)

रबी मक्का लाभकारी क्यों ?

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रबी मौसम कृषि कार्य योजना बनाकर सभी कार्य समय पर कर सकते हैं। जिसमें बुआई, सिंचाई, जल निकास, खरपतवार प्रबंधन, अन्तरशस्य क्रियायें, मिट्टी चढ़ाना, खाद/उर्वरक देना तथा सूर्य प्रकाश की उपलब्धता का होना, जिससे पौधों के बढ़वार में पूरी अनुकूलता मिलने से बीमारी एवं हानिकारक कीटों से होने वाले पौधों को नुकसान कम होता है, परिणामस्वरूप अधिक उत्पादन की प्राप्ति की जा सकती है।
रबी मौसम में अनुकूल वातावरण (तापमान)
रबी मौसम में दिन छोटे परंतु कम तापमान के साथ ही साथ पूर्ण सूर्य ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इसी कारण रबी मौसम में पौधा अपनी क्षमता का उत्पादन देने में सक्षम हो जाता है। जिससे फसल की अवधि बढ़कर उत्पादन का स्तर बढ़ाने में सहायक होता है। इसके विपरीत खरीफ मौसम में अधिक तापमान, बादल वाले दिन एवं धूप छांव वाली परिस्थिति के कारण पौधों की बढ़वार अच्छी तरह नहीं हो पाती। फलस्वरूप उत्पादन में कमी आती है और फसल अवधि भी कम हो जाती है।
आवश्यक पौध संख्या की प्राप्ति
उचित समय पर कृषि कार्य होने के कारण एवं कीट एवं रोगों की कमी में उचित पौध संख्या बनी रहती है क्योंकि पोषक तत्वों की अधिक उपलब्धता एवं सिंचाई व्यवस्था अच्छी होने से पौधे कम नहीं होते तथा उचित पौध संख्या के कारण पौधों को बढ़वार का पूरा अवसर मिलता है। जिससे उत्पादन अधिक प्राप्त होता है।
खरपतवार समस्या में कमी
रबी मौसम में खरीफ की अपेक्षा खरपतवार कम निकलते हैं। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार को रसायनिक विधि से नींदा नियंत्रण आसानी से किया जा सकता है। नियंत्रित सिंचाई के होने से , समय पर निंदाई कार्य आसानी से कर सकते हैं जिससे परोक्ष रूप से होने वाले पोषक तत्वों का सद्पयोग प्रभावी रूप से होता है।
उचित जल प्रबंधन
आवश्यकतानुसार सिंचाई एवं जल निकास का उचित प्रबंध होने से पानी का भराव पौधों के पास न होने के कारण पौधों का नुकसान नहीं हो पाता जबकि खरीफ में अतिवर्षा या असमय वर्षा फसल को काफी प्रभावित करते हैं। नियंत्रित सिंचाई एवं जल निकास की व्यवस्था से फसल को बढऩे के लिये अच्छा वातावरण प्रदाय किया जा सकता है।

पोषक तत्वों का फसल द्वारा समुचित उपयोग
सिंचाई एवं जल निकास नियंत्रित होने से पोषक तत्वों का ह्रास नहीं होता है एवं सही उपयुक्त समय पर पोषक तत्वों को फसल को देने की कार्ययोजना बनाई जा सकती है। इसलिये रबी में नत्रजन एवं अन्य पोषक तत्वों के परिणाम अच्छे मिलते हैं। वर्षाकाल में सूखे की अवस्था के कारण कई बार खाद देने का समय निकल जाता है। वहीं अतिवृष्टि में जलमग्नता के कारण भूमि तथा उर्वरकों, पोषक तत्वों का ह्रास होता है, परिणाम में प्रति इकाई खाद उपयोग फसल नहीं कर पाती है।

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