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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का प्रभावी क्रियान्वयन जरूरी

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(विशेष प्रतिनिधि)
भोपाल। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को शेष 31 जिले में लागू करने की घोषणा के बाद गत दिनों इन जिलों के अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के लिये कार्यशाला हुई। कार्यशाला का शुभारंभ प्रमुख सचिव किसान-कल्याण एवं कृषि विकास डॉ. राजेश राजौरा और समापन अपर मुख्य सचिव कृषि उत्पादन आयुक्त श्री पी.सी. मीना ने किया। इस अवसर पर संचालक कृषि श्री मोहन लाल सहित अन्य कृषि अधिकारी उपस्थित थे।

प्रमुख सचिव किसान-कल्याण एवं कृषि विकास डॉ. राजेश राजौरा ने कार्यशाला के शुभारंभ पर कहा कि योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये जरूरी है कि संबंधित अधिकारी इसे आत्मसात करें। उन्होंने कहा कि पहले इस योजना में भारत सरकार ने 20 जिले का चयन किया था। मुख्यमंत्री श्री चौहान के आग्रह के बाद सभी 51 जिले में इस योजना को लागू करने की सहमति भारत सरकार ने दी है।
कार्यशाला में भारतीय मृदा एवं जल प्रबंधन संस्थान, देहरादून के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रभात आर. ओजस्वी ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में जल प्रबंधन तकनीक के उपयोग के संबंध में जानकारी दी। कृषि महाविद्यालय, इंदौर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. डी.एच. रानाडे ने प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन, भारतीय मृदा एवं जल प्रबंधन संस्थान, देहरादून के वैज्ञानिक डॉ. अमरीश कुमार ने वर्षा आधारित क्षेत्रों का एकीकृत विकास सुनिश्चित करने के लिये मृदा एवं जल संरक्षण कर भू-जल वृद्धि करने एवं जल संग्रहण संरक्षण तकनीक, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री चन्द्रमोहन ने जिला सिंचाई आयोजना, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के डॉ.आर.के नेमा ने उपलब्ध जल का अपव्यय रोकने तथा सिंचाई में वृद्धि कर खेत में जल उपयोग की दक्षता में सुधार, वरिष्ठ वैज्ञानिक जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर डॉ.एस.के प्यासी ने रन ऑफ वॉटर मेनेजमेंट की तकनीक तथा राजमाता सिंधिया विश्वविद्यालय ग्वालियर के वैज्ञानिक डॉ. वाय.पी.सी.सिंह ने विभिन्न फसलों में सिंचाई के निर्धारण एवं फसलवार आवश्यकता के बारे में जानकारी दी।

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