Uncategorized

डेढ़ एवं दो फीसदी प्रीमियम पर होगा फसलों का बीमा

Share

नई दिल्ली। लगातार दो बार सूखे के कारण संकट से जूझ रहे लाखों किसानों को केंद्र सरकार ने सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने का फैसला किया है। केंद्रीय कैबिनेट ने नए साल में किसानों को नई फसल बीमा योजना को मंजूरी देकर तोहफा दिया है। यह योजना खरीफ 2016 से लागू होगी।
इस योजना को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना नाम दिया गया है, जिसके तहत सभी खरीफ फसलों का बीमा बीमित रकम के 2 प्रतिशत प्रीमियम और रबी की सभी फसलों का बीमा 1.5 प्रतिशत प्रीमियम पर किया जाएगा।
बागवानी फसलों पर सालाना प्रीमियम बीमित राशि का 5 प्रतिशत होगा। शेष प्रीमियम का भुगतान सरकार द्वारा बीमा कंपनियों को किया जाएगा, जिसमें केंद्र व राज्य सरकारों की हिस्सेदारी बराबर होगी। बहरहाल केंद्र सरकार ने कहा है कि सब्सिडी की कोई ऊपरी सीमा नहीं होगी और अगर शेष प्रीमियम 90 प्रतिशत भी होता है तो इसमें मुहैया कराया जाएगा। इसका आशय यह है कि अगर राज्य सरकार 50 फीसदी सब्सिडी हिस्सेदारी का वादा पूरा नहीं करती तो केंद्र सरकार कदम उठाएगी, लेकिन योजना पर असर नहीं पडऩे दिया जाएगा। अब तक सभी खाद्यान्न फसलों के लिये औसत प्रीमियम 15 प्रतिशत तक है। वहीं बागवानी फसलों के मामले में तो यह और भी ज्यादा है।
वर्ष 2010 से प्रभावी संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना में प्रीमियम अधिक होने से एक कैप निर्धारित रहती थी, जिससे सरकार द्वारा वहन की जाने वाली प्रीमियम राशि कम हो जाती थी फलस्वरूप किसानों को मिलने वाली दावा राशि भी अनुपातिक रूप से घट जाती थी। नई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 30 हजार बीमित राशि पर 22 प्रतिशत बीमांकित (एक्चुरियल) प्रीमियम आने पर किसान मात्र 600 रुपये प्रीमियम देगा, जबकि सरकार द्वारा 6000 रुपये का प्रीमियम दिया जायेगा। शत-प्रतिशत नुकसान होने पर किसान को 30 हजार रु. की पूरी दावा राशि प्राप्त होगी। बीमित किसान यदि प्राकृतिक आपदा के कारण बोनी नहीं कर पाता तो यह जोखिम भी इसमें शामिल है और संबंधित किसान को दावा राशि मिल सकेगी। नई फसल बीमा योजना में ओला, जल भराव और लैण्ड स्लाइड जैसी आपदाओं को स्थानीय आपदा मानने का प्रावधान सर्वथा उचित है। पुरानी योजनाओं में यदि किसान के खेत में जल-भराव हो जाता था, तो किसान को मिलने वाली दावा राशि इस बात पर निर्भर करती थी कि गांव या गांव के समूह में नुकसानी कितनी है। इस कारण कई बार नदी-नाले के किनारे या निचले स्थल में स्थित खेतों में नुकसान के बावजूद किसानों को दावा राशि प्राप्त नहीं होती थी। नई योजना में इस विसंगति को दूर किया गया है।
फसल कटाई के बाद के नुकसान को भी बीमा योजना में शामिल कर किसानों के हित में बड़ा कदम उठाया गया है। फसल कटने के 14 दिन तक यदि फसल खेत में है और इस दौरान कोई आपदा आ जाती है तो किसानों को दावा राशि प्राप्त हो सकेगी।
फसल नुकसानी का आकलन करने के लिये नई फसल योजना में आधुनिक टेक्नालॉजी के उपयोग का प्रावधान किया गया है। इससे फसल कटाई/नुकसान का आकलन शीघ्र और सही-सही हो सकेगा तथा किसान को दावा राशि त्वरित रूप से मिल सकेगी। रिमोट सेन्सिंग के माध्यम से फसल कटाई प्रयोगों की संख्या कम हो जायेगी। फसल कटाई प्रयोग के आंकड़े तत्काल स्मार्ट फोन के माध्यम से अपलोड करवाये जायेंगे।

प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्रीय मंत्रिपरिषद द्वारा मंजूर की गई नई फसल बीमा योजना को सही अर्थों में किसान हितैषी बताते हुए प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित होने वाले अधिक से अधिक किसानों को इस योजना से कम समय में भरपूर सहायता मिल सकेगी।

फसल- देय बीमा प्रीमियम
(बीमित राशि का %)
खरीफ – 2 प्रतिशत
रबी – 1.5 प्रतिशत
बागवानी – 5 प्रतिशत

योजना में
– पोस्ट हार्वेस्ट नुकसान शामिल।
– स्मार्टफोन से आंकड़ें जमा होंगे।
– ओला, जलभराव एवं लैण्ड स्लाइड को भी आपदा माना जाएगा।
– बोनी नहीं कर पाना भी जोखिम में शामिल।

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *