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किसानों को गन्ने के दाम न मिलने पर सरकार को हाईकोर्ट का नोटिस

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जबलपुर। जबलपुर हाईकोर्ट में गत दिनों नरसिंहपुर निवासी विनायक परिहार की एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुये कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस अंजुली पालो की बेंच ने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव कृषि एवं किसान कल्याण, व कलेक्टर नरसिंहपुर को नोटिस जारी कर पूछा है कि मध्य प्रदेश में क्यों लागू नहीं किए केंद्रीय गन्ना नियंत्रण नियम 2009 तथा मप्र गन्ना विकास नियम । साथ ही पूछा है कि अभी तक रंगराजन आयोग की सिफारिशों के अनुसार क्यों नहीं मिल रहा किसानों को गन्ने का उचित मूल्य ।
किन – किन गन्ना नियम कानूनों का नहीं हो रहा पालन ?

  • केंद्रीय गन्ना नियंत्रण नियम 2009 के अनुसार किसानों को लगभग रु. 350/- प्रति क्विंटल की दर से गन्ना का उचित मूल्य मिलना चाहिए लेकिन नरसिंहपुर जिले मे मात्र रु? 250/- प्रति क्विंटल मिल रहा है ।
  • मध्य प्रदेश विधान सभा द्वारा पारित मध्य प्रदेश गन्ना (प्रदाय एवं नियमन) अधिनियम 1958 व मध्य प्रदेश गन्ना (पूर्ति और खरीद विनियमन) नियम 1959, पर लागू होने के 55 साल बाद भी अमल नहीं हो पा रहा है।
  • गन्ना किसानों के संरक्षण के लिए बने गन्ना  अधिनियम के लागू होने से लेकर आज तक मध्य प्रदेश मे किसी भी सरकार ने अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप प्रदेश गन्ना बोर्ड का गठन नहीं क्या है साथ ही  प्रदेश के किसी भी जिले मे मिल स्तर पर गठित होने वाली ज़ोनल गन्ना विकास परिषदों का गठन भी नहीं किया गया है।
  • अधिनियम अनुसार गन्ना आयुक्त, अतिरिक्त गन्ना आयुक्त, उप गन्ना आयुक्त व निरीक्षकों की नियुक्ति भी नहीं की गई है ।
  • नियमानुसार शक्कर मिलों द्वारा किसानों को गन्ने का भुगतान अधिकतम 14 दिनों में करना अनिवार्य है, जिसके लिये तुलाई स्थल पर ही भुगतान की व्यवस्था का नियम है। समय पर भुगतान न होने की स्थिति में किसान को अतरिक्त 14 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के भुगतान का प्रावधान गन्ना अधिनियम में है । लेकिन किसानों को न ही समय पर भुगतान प्राप्त होता है और न ही कभी उस पर ब्याज मिला ।
  • किसानों के हित और गन्ना विकास  के लिये शक्कर मिलों से 50  पैसे प्रति क्विंटल के हिसाब से सात प्रकार के उपकर वसूल किए जाने का प्रावधान गन्ना अधिनियम में है लेकिन नरसिंहपुर इस उपकर की वसूली नहीं की गई ।  जिसकी करोड़ों की राशि मिलों पर बकाया है । इस उपकर की राशि का उपयोग मिल क्षेत्र के गन्ना किसानों के कल्याण के लिये करने का प्रावधान है जो आज तक कनही नहीं हुआ ।
  • गन्ना मिलो को अपने लिये आरक्षित क्षेत्र से ही गन्ना क्रय करने का अधिकार है लेकिन नरसिंहपुर जिले की मिले पहले क्षेत्र से बाहर का गन्ना सस्ती दरो क्रय करती है और किसानों का शोषण करती है ।
  • अधिनियम अनुसार किसानों द्वरा लाये गये गन्ने की ट्राली व गाड़ी आदि को 10 घंटो मे अनिवार्य रूप से तोल कर खाली करे का  नियम है लेकिन नरसिंहपुर मे किसानों के वाहनो को खाली होने मे 2-2 दिनो तक का समय लग जाता है जबकि अन्य विचोलिओ के वाहन कुछ घंटो मे खाली कर दिये जाते है ।
  • नियमानुसार गन्ना वाहनों को मिल परिसर में ही खड़ा करना अनिवार्य होता है लेकिन नरसिंहपुर जिले में शक्कर मिलों के आगे लंबी कतार लगी रहती है जिसके कारण सड़क दुर्घटना व आपसी लड़ाई की आशंका बनी रहती है।
  • नियमानुसार किसानों को रुकने व आराम करने के लिये पर्याप्त सुविधा युक्त स्थल का निर्माण आवश्यक है । साथ ही बैल आदि के चारे पानी की भी  व्यवस्था मिल को ही करनी होती है लेकिन नरसिंहपुर की  किसी भी मिल में किसानों के लिये आराम गृह व बैल आदि के लिये पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।
  • उपरोक्त गन्ना नियमों के अलावा पर्यावरण व मजदूरों से संबन्धित नियम कानूनों का उल्लंघन भी शक्कर मिलों द्वारा लगातार किया जा रहा है ।
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