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आम बजट- 2017-18 किसानों के लिए 10 लाख करोड़ का ऋण

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(विशेष प्रतिनिधि)
नई दिल्ली। केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने गत 1 फरवरी को संसद में वर्ष 2017-18 का आम बजट पेश किया, इसमें रेल बजट भी शामिल था। वित्त मंत्री ने गांव, गरीब, किसानों एवं ग्रामीण विकास को फोकस करते हुए किसानों को आसानी से ऋण उपलब्ध कराने के लिए 10 लाख करोड़ का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही आयकर स्लैब में बदलाव, कम आमदनी वाले लोगों, छोटे उद्योगों, कृषि मजदूरों, किसानों के प्रति नरमी तथा 50 लाख से ज्यादा आमदनी वाले, बड़े उद्योगों और राजनीतिक दलों पर सख्ती की गई है। बजट में नोटबंदी का भी असर झलक रहा है।

केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली ने 1 फरवरी को संसद में वर्ष 2017-18 का आम बजट पेश करते हुए बताया कि सरकार को मानसून की स्थिति बेहतर रहने से चालू वर्ष 2016-17 के दौरान कृषि क्षेत्र में विकास दर 4.1 प्रतिशत होने की उम्मीद है। चौथा बजट पेश करते हुए श्री जेटली ने कहा कि किसानों को समय पर पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। 2017-18 में कृषि ऋण का लक्ष्य 10 लाख करोड़ रूपये निर्धारित किया गया है। किसानों को 60 दिनों के ब्याज के भुगतान से छूट का भी लाभ मिलेगा। वित्त मंत्री ने बताया कि लगभग 40 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान सहकारी ढांचे से ऋण प्राप्त करते हैं। सरकार जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों की कोर बैंकिंग प्रणाली के साथ सभी 63,000 क्रियाशील प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटियों के कम्प्यूटरीकरण करेगा। यह कार्य 1900 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत से राज्य सरकारों की वित्तीय भागीदारी के द्वारा 3 वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि नाबार्ड में एक दीर्घकालीन सिंचाई कोष स्थापित किया जा चुका है और प्रधानमंत्री ने इसकी स्थायी निधि में 20,000 करोड़ रूपये की अतिरिक्त राशि शामिल करने की घोषणा की है। इस प्रकार इस कोष में कुल निधि बढ़कर 40,000 करोड़ रूपये हो जाएगी।
फसल बीमा योजना का विस्तार
फसल बीमा योजना का विस्तार जो 2016-17 में फसल क्षेत्र का 30 प्रतिशत है, उसे 2017-18 में बढ़ाकर 40 प्रतिशत और 2018-19 में बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाएगा। बजट अनुमान 2016-17 में इस योजना के लिए 5,500 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया था, जिसे बकाया दावों का निपटान करने के लिए 2016-17 के संशोधित बजट अनुमान में बढ़ाकर 13,240 करोड़ रूपये कर दिया      गया था।
वर्ष 2017-18 के लिए इस मद के लिए 9000 करोड़ रूपये की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। इस योजना के अंतर्गत बीमाकृत राशि जो 2015 के खरीफ सीजन में 69,000 करोड़ रूपये थी, 2016 के खरीफ सीजन में दोगुने से भी बढ़कर 1,41,625 करोड़ रूपये हो गई है।
राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) दायरे का मौजूदा 250 बाजारों से 585 एपीएमसी तक विस्तार किया जाएगा। इसके अलावा स्वच्छता, ग्रेडिंग और पैकेजिंग सुविधाओं की स्थापना के लिए प्रत्येक ई-नाम बाजार को अधिकतम 75 लाख रूपये की सहायता प्रदान की जाएगी।
वित्त मंत्री ने तीन वर्षों में 8000 करोड़ रूपये की  निधि से नाबार्ड में एक दुग्ध प्रसंस्करण एवं संरचना निधि स्थापित करने की घोषणा की।

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