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समस्या-समाधान

समस्या-धानी मक्का (पॉप कॉर्न) की खेती करना चाहता हूं बुआई का समय, तरीका, किस्म आदि की जानकारी उपलब्ध करायें।
– हरीश गंगराड़े
ग्राम – पीपल्या, सिराली, हरदा (म.प्र.)

समाधान – धानी मक्का को उन सभी परिस्थितियों में लगाया जा सकता है जिसमें मक्का की फसल लगाते हैं।
– खरीफ में इसकी बोनी मई से जुलाई के मध्य तक की जा सकती है। रबी में इसकी बोनी अक्टूबर से मध्य नवम्बर तक कर दें।
– इसके लिये 80 किलो नत्रजन, 60 किलो स्फुर तथा 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टर के साथ-साथ हर तीन वर्ष में 50 किलो/ हे. जिंक की भी आवश्यकता होती है। नत्रजन तीन बार बोते समय, 25 व 45 दिन बाद दें।
– बीज की मात्रा 12-14 किलो प्रति हेक्टर लगती है। बीज 60×20 से.मी. या 45×30 से.मी. दूरी पर बोयें।
– खरीफ के लिये अम्बर व व्ही. एल. अल्मोड़ा जो 80-90 दिन में पक जाती है तथा रबी के लिये पर्ल जाति जो 95 से 100 दिन में पकती है, उपयुक्त है।
– पौध संरक्षण मक्के के समान ही रहेगा। कटाई के बाद दानों को अच्छी तरह सुखा लें व हवादार गोदाम में भंडारण करें।

समस्या- कद्दू की खेती के लिये बुआई के समय व खाद आदि की जानकारी दें।
– विमल पाटीदार, गुना
समाधान – ग्रीष्म ऋतु में कद्दू लेने के लिये आपको बीज जनवरी, फरवरी में बोना होगा।
– थाले के लिये 30x30x30 (गहरा, लंबा, चौड़ा) से.मी. आकार के गड्ढे तैयार कर इसमें गोबर खाद, स्फुर तथा पोटाश मिट्टी में मिला कर भर लें। प्रत्येक थाले में 3-4 बीज बोएं। अंकुरण के बाद दो स्वस्थ पौधे रखकर अन्य को उखाड़ दें। पॉलीथिन के लिफाफों में भी पौध तैयार कर रोपणी कर सकते हैं।
– कद्दू के लिये 200 क्विंटल गोबर खाद, 100 किलो नत्रजन, 50 किलो स्फुर व 50 किलो पोटाश प्रति हेक्टर की आवश्यकता होती है। गोबर खाद स्फुर व पोटाश बुआई के पूर्व गड्ढों में भरे नत्रजन की मात्रा को तीन भागों में बांट लें। पहली मात्रा पौधे उगने के 10-15 दिन बाद, दूसरी एक माह बाद तथा तीसरी फूल आने पर पौधों से कुछ दूरी पर दें। अधिक उपज के लिये जब पौधे 2-4 पत्ती के हो जाये तो एथरेल के 250 पी.पी.एम. (2.5 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) घोल का छिड़काव करें। इससे मादा फूलों की संख्या बढ़ेगी।

समस्या- मूंग में नींदा (खरपतवार) बहुत अधिक आते हैं इन्हें कैसे नियंत्रित करें
– रामभरोसे, गुना
समाधान – यदि आप कम जमीन में मूंग लगाते हैं और यदि मजदूर उपलब्ध हैं तो मजदूों द्वारा निंदाई कर हेंड हो से गुड़ाई कर नींदा नियंत्रित कर सकते हैं।
– खेत की आखिरी जुताई के समय फ्लुक्लोरिन एक किलोग्राम सक्रिय पदार्थ (2 लीटर बासालिन 50 ई.सी.) का 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टर की दर से नेपसेक स्पे्रयर से छिड़काव कर लें। स्प्रेयर में फ्लेट फैन या फ्लेट जेट नोजल का ही प्रयोग करें। छिड़काव के बाद कल्टीवेटर चलाकर उसे मिट्टी में मिला दें।
– यदि खेत में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार अधिक आते हों तो मूंग की बुआई के तुरन्त बाद खेत में पेन्डीमिथालिन एक किलो ग्राम सक्रिय तत्व (स्टाम्प 30 ई.सी. की 3 लीटर) को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टर के मान से छिड़काव करें। किसी भी खरपतवारनाशी का उपयोग करते समय यह ध्यान रखें कि खेत में पर्याप्त नमी है तथा आपके स्पे्रयर में फ्लेट फेन या फ्लेट जेट नोजल ही लगा हो।

समस्या- सिंचाई उपलब्ध है। क्या बसन्त कालीन तिल की फसल ले सकते हैं।
कृष्णपाल शर्मा, शिवपुरी
समाधान – यदि आपके पास पर्याप्त सिंचाई है तो आप रबी फसलों की कटाई के बाद तिल की फसल ले सकते हैं।
– क्यारियों में नालियों की व्यवस्था कर लें।
– तिल की गर्म ऋतु के लिये टीकेजी-22, टीकेजी-55, जेटीएस-8 या टीके जी-306 में से किसी एक जाति का उपयोग करें।
– यदि आप बुआई फरवरी माह में कर लें तो उपयुक्त रहेगा। फसल वर्षाऋतु पूर्व पक जानी चाहिए। बुआई के पूर्व बीज को कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम+थीरम। 1 ग्राम/प्रति किलो बीज के मान से उपचारित कर लें।
– 30 किलो नत्रजन, 40 किलो फास्फोरस तथा 20 किलो पोटाश/हे. बुआई के पूर्व दे तथा 30 किलो नत्रजन/हे. बुआई के 3-4 सप्ताह बाद दें। सिंचाई हर 7 दिन में करते रहे।

समस्या- चने में फूल आ रहे हैं, इस अवस्था में पोटाश कैसे दे।
– रामदीन सराठे, रायसेन
समाधान- यदि आपने पोटाश आरंभ में नहीं दिया तो फूल अवस्था में पोटाश देने से कोई फायदा नहीं होगा।
ज्यादा अच्छा यह होगा कि फसल की कटाई के बाद आप अपने खेतों के मिट्टी के नमूने जांच हेतु लें। पास की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला से मिट्टी की जांच कर ले। अगली फसलों में जांच में की गई अनुशंसा के अनुसार ही उर्वरकों का प्रयोग करें। पोटाश की कमी होने पर ही पोटाश की अनुशंसित मात्रा अगली फसल में डालें।

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