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समस्या – समाधान

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समस्या- सर्पगन्धा की खेती में इच्छुक हूं, परामर्श देने की कृपा करें।
– अम्बिका पटेल, टिमरनी
समाधान-
सर्पगन्धा की खेती के लिये नम तथा हल्के गर्म मौसम की आवश्यकता होती है।
1. इसकी जड़ें औषधि के रूप में उपयोग में आती है।
2. अच्छे निकास वाली बलुई से भारी दोमट मिट्टी जिसका पी.एच. 8 से कम हो उपयुक्त रहता है। 4.6 से 6.2 पी.एच. अधिक उपयुक्त।
3. धूप व आंशिक छाया वाले खेत अधिक उपयुक्त जहां पाला पड़ता हो वहां न लगायें।
4. 25 से 30 टन गोबर की अच्छी सड़ी खाद अवश्य डालें।
जाति-सर्पगंधा- 1, (कृषि महाविद्यालय, इंदौर में विकसित)।
5. उत्पत्ति- बीज, जड़ों व तनों से।
6. बीज बोने का समय- मई मध्य, 6 माह से पुराने बीज का अंकुरण 15-20 दिन बाद।
7. बीज नर्सरी में बोयें। एक हेक्टर के लिए 500 वर्ग मीटर नर्सरी लगायें, बीज मात्रा 5.5 किलोग्राम।
8. रोपड़ 4-6 अवस्था में, मुख्य जड़ काट कर।
9. जड़ों से बुआई- मार्च से जून तक 100 किलोग्राम जड़ें (10-12 से.मी.) प्रति हेक्टर।
10. उपज- 25 क्विंटल जड़ें प्रति हेक्टर 18 माह में।
समस्या- गेहूं में पहली बार नींदा नियंत्रण के लिए नींदानाशक का प्रयोग करना चाहता हूं, परामर्श दीजिए।
– संदीप राजपूत,बुदनी, रात्तोवाडी, सीहोर
समाधान-
द्य गेहूं में दोनों सकरी तथा चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार/ नींदा आते हैं।
1. संकरी पत्ती वाले नींदा में जंगली जई, चिरैया बाजरा, दूब व कांस प्रमुख हैं। चौड़ी पत्ती में बथुआ, दूधी, हिरनखुरी, कटेली, सेजी, कृष्णनील, अकरी आदि प्रमुख है।
2. आपके खेत में कौन -कौन से नींदा की बहुलता है। उस आधार पर नींदानाशक का चयन करना होगा।
3. यदि दोनों प्रकार के नींदा आपके गेहूं के खेतों में आते हैं तो पेन्डामेर्थिन 30 ईसी के 3.3 लीटर को 500-600 लीटर पानी में घोल कर बुआई के तुरन्त बाद से 3 दिन के अंदर से छिड़काव करें। यह संकरी तथा चौड़ी दोनों प्रकार की नींदा को नियंत्रित करेगा।
4. यदि आपकी फसल में संकरी पत्ती वाले नींदा हो तो आइसोप्रोट्यूरॉन 75 की एक किलो ग्राम- 500-600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें।
5. यदि दोनों प्रकार के नींदा आते हो तो आइसोप्रोट्यूरान में 250 ग्राम 2-4 डी सोडियम लवण 30 प्रतिशत मिलाकर बुआई के 30 दिन के अंदर छिड़कें। इसके अतिरिक्त सल्फोसल्फ्यूरॉन 25 ग्राम प्रति हेक्टर का भी उपयोग किया जा सकता है।
नींदानाशक के उपयोग में निम्न सावधानी अवश्य रखें।
6. छिड़कते समय भूमि में पर्याप्त नमी अवश्य रहे।
7. फ्लेट फेन या प्लेट जेट नोजल का ही पयोग करें।
8. स्प्रे पूरे क्षेत्र में अच्छी तरह व एक समान हो।
9. स्प्रे खुले सूखे मौसम में करें।
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समस्या- गेहूं की फसल में दीमक बहुत नुकसान पहुंचाती है। रोकथाम के उपाय बतायें।
– सुरेश कुमार, मुरैना
समाधान-
द्य खेत के आसपास दीमक के बमीठों को खोदकर रानी दीमक को नष्ट करने का प्रयत्न करें। पूरे गांव में सामूहिक रूप से यह कार्य किया जाये तो अच्छे व दूरगामी परिणाम मिलेंगे।
द्य गेहूं बोने के पूर्व बीज को क्लोरोफायरीफॉस 20 ई.सी. के 5 मि.ली. या थायीमोक्जेम 75 डब्ल्यू. एस. के 5 मि.ली. या फेप्रोनिक 5 एफ.एस. के 2 मि.ली. को 1-3 लीटर पानी में घोलकर प्रति किलो बीज मान से उपचारित कर लगायें।
द्य खड़ी फसल में दीमक नियंत्रण के लिये क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. 1 लीटर प्रति हेक्टर के मान से सिंचाई के पानी के साथ दें।
समस्या- मैं पालक लगाना चाहता हूं, कृपया विधि तथा अच्छी जातियां बतायें।
– सुधाकर राव, चिचोली
समाधान-
आप पालक लगाना चाहते हैं यह समय पालक लगाने के लिये उपयुक्त है आप निम्न उपाय करें-
1. सभी प्रकार की भूमि में पैदा किया जा सकता है।
2. जातियों में पूसा भारती, पूसा हरिता, अलग्रीन, पूसा ज्योति तथा जोबनेर ग्रीन।
3. बीज की मात्रा 20-30 किलो बीज/हे. पर्याप्त होगी।
4. उर्वरकों में 25 किलो यूरिया, 40 किलो सिंगल सुपर फास्फेट तथा 40 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश/हे. की दर से डालें।
5. बुआई का उचित समय सितम्बर से दिसम्बर।
6. सिंचाई की अच्छी व्यवस्था आवश्यक है।
7. बुआई के 3-4 सप्ताह बाद से कटाई शुरू की जा सकती है। तथा 15-20 दिनों के अंतर से बराबर कटाई की जाये।
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समस्या- मैं अजबाईन लगाना चाहता हूं, कृषि तकनीकी से अवगत करायें।
– जसवंत गौड़, रायसेन
समाधान-
आप मसाला फसल अजबाईन लगाना चाहते हैं खेती से अधिक लाभ कमाने के लिये कुछ नया करने की जरूरत है। आपके पड़ोस सुल्तानपुर में हल्दी की खेती बहुत की जाती रही है। आप निम्न तकनीक का पालन करें।
1. भूमि जिसमें अजबाईन लगाना है में जल प्रबंध अच्छा हो।
2. 3-4 किलो बीज/हे. की दर से लगता है बीज का उपचार 2 ग्राम थाईरम/ किलो बीज का करें।
3. बीज में खाद या राख मिलाने से बीज में अच्छा अंतर आ जाता है और सघनता ठीक हो जाती है।
4. बुआई का उचित समय अक्टूबर-नवम्बर है।
5. उन्नत जातियों में लाभ सलेक्शन 1, लाभ सलेक्शन 2, आर.एच. 40 इत्यादि है। इसके अलावा एन.डी.30, एन.पी. 151, एन.पी. 66, एन.पी. 79, एन.पी. (जे.) 8 तथा एन.पी. (जे)15 प्रमुख हैं। जो कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली में विकसित की गई हैं।
6. गुजरात अजबाईन 1 भी अच्छी किस्म है। जिसे लगाया जा सकता है।
7. 150 क्विंटल गोबर खाद के साथ, 87 किलो यूरिया, 125 किलो सिंगल सुपर फास्फेट तथा 33 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश/हे. की दर से डालें।

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