समस्या- राई-सरसों तथा अन्य तिलहनी फसलों में क्या सिंचाई लाभदायक होती है यदि हां, तो बतायें कितनी और कब।
– जयदेव राव, मुलताई
समाधान- राई-सरसों या अन्य तिलहनी फसलों में सिंचाई के विषय में आपने पूछा है आमतौर पर दलहन/तिलहन को वर्षा आधारित स्थिति में लगाया जाता है। राई-सरसों अलसी-कुसुम सामान्य रूप से रबी तिलहनी फसलें होती हंै। जिसमें से कुसुम (करडी) की जड़ें लम्बी गहराई तक जाती हैं। इन फसलों को यदि एक पानी मिल जाये तो उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है। अनुसंधान आधारित परिणामों पर राई-सरसों में पहली सिंचाई बुआई के 30-40 दिनों बाद तथा दूसरी फली बनते समये दी जाना चाहिये। अलसी में भी इसी प्रकार से सिंचाई करना हितकर होगा। कुसुम की फसल में भी पहली सिंचाई बुआई के 30-40 दिनों बाद तथा दूसरी फूल अवस्था में दें तो अच्छा लाभ मिल सकता है। सिंचाई का स्रोत निश्चित हो तो बुआई पूर्व सिफारिश के आधार पर उर्वरक उपयोग यदि नहीं किया गया हो तो सिंचाई का पूर्ण लाभ नहीं मिल सकेगा।