समस्या- देरी से बोये गये गेहूं की फसल में सिंचाई कब-कब दें तथा क्या सावधानी बरतें ताकि अच्छा उत्पादन मिल सके।
– कमलेश यादव, कटंगी
समाधान– देरी से बोये गये गेहूं में जल प्रबंधन की जरूरत अधिक रहती है। कभी-कभी फरवरी के अंत से ही तापमान बढऩे लगता है परिणामस्वरूप गेहूं में दाने भरने तथा दाने बढऩे की क्रिया में नमी की कमी होने लगती है। इस कारण समय से बोई गेहूं की फसल की तुलना में देरी से लगाई फसल में अतिरिक्त सिंचाई आवश्यक हो जाती है। इसके अलावा भूमि के प्रकार पर भी सिंचाई निर्भर रहती है। गहरी काली मिट्टी में हल्की मिट्टी की तुलना में सिंचाई की आवश्यकता कम रह जाती है। अतिरिक्त सावधानी में खेतों में चूहों के आक्रमण तथा गेरूआ रोग की सम्भावनाओं पर भी नजर रखनी होगी। आसपास की फसल कट जाने से चूहों को देर से बोई फसलों पर हमला करने का अवसर मिल जाता है। चूहों को मारने के लिये विषयुक्त गोलियां तथा एक छिड़काव डाईथेन एम45 का दो ग्राम दवा/लीटर पानी में घोल बनाकर आवश्यकतानुसार किया जाये। ताकि गेरूआ/झुलसा रोगों पर नियंत्रण हो सके।