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रिलायंस फाउण्डेशन की किसानों को सलाह

विंध्य पठार– भोपाल, सागर, दमोह, विदिशा, राजगढ़, सीहोर

  • खरीफ की फसलें काटने के तुरन्त बाद जल्दी से जल्दी खेत की जुताई करें। जुताई करके पाटा चलाकर भूमि की नमी का संरक्षण करें। अक्टूबर के दूसरे से चौथे सप्ताह में दलहन फसल-चना, मसूर की बुआई करें।
  • खरीफ फसलों की गहाई पश्चात 2-3 दिन बीज को धपू में सुखाएं जिससे भंडारण हेतु इसकी नमी 10-12 प्रतिशत तक कम की जा सके। सोयाबीन बीज को भंडारण हेतु एच.डी.पी.ई. बैग का उपयोग कर हवादार एवं नमीरहित भंडार गृह में सुरक्षित रखें।
  • गेंहू की उन्नत किस्में- पूर्ण सिंचित किस्में- जे.डब्ल्यू-1203, जे.डब्ल्यू-1215, एच.आई.-1544 आदि। अर्ध सिंचित (1 से 2 सिंचाई वाली) किस्में- जे.डब्ल्यू-3288, जे.डब्ल्यू-3211, जे.डब्ल्यू-3020, एच.आई.-1531 आदि है। असिंचित किस्में- जे.डब्ल्यू-3288, जे.डब्ल्यू-3173 आदि।
  • चने की उन्नत किस्में- आर.व्ही.जे.-202, जे.जी.-130, जे.जी.-11, जे.जी.-315, जे.जी.-16, जाकी-9218, काबुली चने में काक-2, जे.जी.के.-1 आदि। बीजोपचार फफूँदनाशक (थाइरम 1.5 ग्राम+कार्बेन्डाजिम 1.5 ग्राम) प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करने के बाद जैव उवर्रक राइजोबियम एवं पी.एस.बी. से निवेशित करके करे।
  • पशुओं को हवादार एवं सूखे स्थान में रखें। पशुओं को कृिमनाशक दवा का सेवन कराये। प्रतिरोधक टीके लगवायें, दुधारू पशुओं को शुद्ध पानी सुबह और शाम अवश्य पिलाएं एवं साफ दाना, हरे एवं शुष्क चारे का मिश्रण खिलायें।

मध्य प्रदेश के किसानों के लिए अधिक उपज देने वाली अनुशंसित गेहूं की किस्में

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