अनाज भंडारण की सस्ती तकनीक
टिकेन्द्र कुमार
गोदामों में कीड़ो की संख्या बढऩे का कारण-
हानिकारक कीटयुक्त गोदाम में दरारों या पुराने क्षतिग्रस्त बीज में कीड़ों की अवस्था मौजूद रहती है, खेत में हुई कीट पकती हुई फसल के बीज पर अण्डे देती है इस प्रकार दानों के साथ भंडारण में कीड़े पहुंच जाते हैं इनमें प्रमुख हैं दालों के भ्रंग, चावल का धुन तथा अन्न का षलभ आदि। खलिहान के आसपास कूड़ें करकट में छिपे हुए कीट गहाई के समय दोनों में अण्डे आदि देते हैं, जो भंडारण के समय स्वत: रेंगकर गोदाम में पहुंच जाते हैं, कीट की अवस्था पुराने बोरे तथा गाडिय़ों पर भी मौजूद रहती हैं, इन सभी के अलावा भंडारण में होने वाली गुणात्मक और मात्रात्मक क्षति बादाना छेदक, बीटल, पतंगा फफूंदी, पक्षी व नमीं आदि से होती है। भारतीय गोदामों के कीट मुख्य रूप से चूहे। गोदामों में कीड़ों की संख्या बढऩे के मुख्य कारक निम्नानुसार है।
अनाज में नमी का प्रतिशत – किसान भाई इस बात को अच्छी तरह से जान ले कि खाद्यान्न पदार्थ में कीड़ों की प्रकोप के लिए एक निश्चित प्रतिषत में नमी होना आवश्यक है। अनाज भंडारण के समय 8-10 प्रतिशत या इससे कम नहीं कर देने पर खपरा बीटल को छोड़कर किसी भी अन्य कीट का आक्रमण नहीं हेाता। खपराबीटल (टोगोडऱमा ग्रेनेरियम) कीट 2 प्रतिशत नमी तक भी जिन्दा रहता है, बड़े गोदामों में नमी रोधी संयंत्र लगाना चाहिए। जिससे वर्षांत में भी नमी नहीं बढ़े।
उपलब्ध ऑक्सीजन – अनाज वायुरोधी भंडारगृह में रखना चाहिए। बीज को जीवित रखने के लिए केवल 1 प्रतिशत ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है तथा कीटों को भी श्वसन हेतु ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। खपराबीटल 16.8 प्रतिशत से कम ऑक्सीजन होने पर आक्रमण नहीं करता है। अर्थात भंडारण में ऑक्सीजन कम करके कीड़ों की रोकथाम की जा सकती है। ऑक्सीजन का प्रसार होने पर कीट अधिक लगते हैं।
तापक्रम – नमी की तरह कीटों के विकास के लिए एक निश्चित तापक्रम की आवश्यकता होती है जो कीटों के अधिक विकास के लिए 28 से 32 डिग्री सेन्टीग्रेड होती है। तापक्रम के पूर्ति के लिए कुछ कीट हीट स्पाट निर्माण करते हैं, इसे रोकने के लिए भंडार गृहों में या तो वायु प्रवेष करा दें या फिर अनाज को उलट-पुलट कर दें। कीड़ों को मार कर उनकी संख्या घटा दें।
अनाज के भंडारण पूर्व प्रबंध – अनाज के मात्रा एवं गुणवत्ता को सुरक्षित करने के लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान रखना चाहिए।
अनाज की सफाई एवं सावधानियां – अनाज को साफ करके इतना सुखाना चाहिए कि दांत से काटने पर कट की आवाज से साथ टूट जाए अर्थात उसकी नमी 8 से 10 प्रतिशत तक हो जाए। इस प्रकार के अनाज को एक गोदाम में ही रखना चाहिए। इसके अलावा अनाज ढोने वाली गाड़ी की सफाई फिनायल आदि से कर दें।
बोरों की सफाई – भंडारण यदि बोरी में करना हो तो नये बोरों का ही उपयोग करना चाहिए और यदि पुराने बोरे उपयोग करना हो तो 2 मिली मैलाथियान कीटनाशक दवा प्रति लीटर गर्म पानी के घोल में धोकर बोरों को 6 घंटे अच्छी तरह सुखा लें।
गोदाम की सफाई – अनाज के सही रखरखाव के लिए किसान अपनी सुविधा अनुसार धातु की कोठी, कमरे या गोदाम का उपयोग कर सकते हैं, यदि गोदाम मे भंडारित करते है तो गोदाम पक्का, नमी रोधी तथा खिड़की जालीदार और बाहर से खुलने या बंद वाली होना चाहिए। यदि दीवाल या फार्म में छिद्र, दरार आदि हों तो बंद कर देंवे। चूहे के बिल को सीमेंट में कांच मिलाकर बंद करना चाहिए तथा अच्छी तरह सफाई करें ताकि चूहे, नमी और कीड़ों से बचाव हो सके। गोदाम को कीट मुक्त करने के लिए 3 कि.ग्रा. लकड़ी का कोयला, 100 ग्राम गंधक को जलाकर प्रति घन मी. की दर से 24 घंटे तक धूमण करें तथा जिस दिन में दरवाजे, खिड़की, रोशनदान खोल दें जिससे अनाज को हवा लग सके और नमी का असर न हो।
अनाज भंडारण के घरेलू उपाय –
अनाज के नीचे व ऊपर नीम की पत्तियां बिछा दें। बोरों में यदि भंडारण किया जा रहा है तो अनाज में नीम की पत्तियां मिला लें और जिन बोरियों को भंडारण में उपयोग करना है उनको मैलाथियान 50 ईसी से बोरियों को उपचारित कर लेना चाएि यह दवा सुरक्षित कीटनाशक के रूप में उपयोग की जाती है। मिट्टी की कोठी कुठिलों को अच्छी पीली मिट्टी से लीप कर सुखाकर भंडारित करना चाहिए जिससे दवा का आवागमन रूक सके। अनाज को तेज धूप (धूप माह की लू) में सुखाकर भंडारित करें तथा जब पूर्वी नमीयुक्त हवा चल रही हो तो भंडारगृह नहीं खोलें।