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मेढऩाली पद्धति से करें सोयाबीन की खेती

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उज्जैन। संभाग में सोयाबीन खरीफ की प्रमुख फसल है, जिसकी खेती मालवा क्षेत्र में कुल क्षेत्रफल के 75 फीसदी हिस्से में की जाती है। वर्तमान जलवायु की विषम परिस्थितियों को देखते हुए और अधिक उत्पादन लेने के लिए आगामी खरीफ मौसम में सोयाबीन की खेती मेढ़ नाली पद्धति से करें तो अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। इसके लिए खेतों की तैयार आरंभ कर दें। मृदा का सोलेराइजेशन भी जरूरी है। इस पद्धति से बुवाई मेढ़ों पर की जाती है तथा दो मेढ़ों की बीच लगभग 15 सेमी गहरी नाली बनाई जाती है एवं मिट्टी को फसल की कतारों की तरफ कर दिया जाता है। बुवाई मेढ़ों पर होने से अवर्षा की स्थिति में पर्याप्त नमी मिलती है और अतिवर्षा की स्थिति में अतिरिक्त पानी खेतों से बाहर निकल जाता है। साथ ही, तेज हवा चलने पर पौधों के गिरने की संभावना नहीं रहती। इस विधि में खरपतवार नियंत्रण में भी सुविधा होती है। इसके अलावा पौधों को हवा और धूप प्रचुर मात्रा में मिलती है, जिससे पौधे स्वस्थ रहते हैं और अधिक उत्पादन भी प्राप्त होता है।

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