माण्डवी की मिर्च का कमाल ‘किसान हुए खुशहाल
राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में अरनोद तह. के ग्राम ‘माण्डवीÓ जो कि मध्य प्रदेश की पश्चिमी सीमा पर लगा है। लगभग 800 लोगों की जनसंख्या वाले इस गांव में यहां के लोगों का मुख्य काम-काज परम्परागत तरीके से चली आ रही खेती किसानी है। यहां रबी में गेहूं, चना, लहसुन, प्याज आदि की फसलें लगायी जाती हैं तथा खरीफ में सोयाबीन, मक्का आदि फसल लगाई जाती है।
माण्डवी गांव के ही तीन प्रगतिशील युवा किसान श्री फतेलाल आंजना आत्मज श्री भेरूलाल आंजना, अशोक प्रजापत आत्मज श्री भेरूलाल प्रजापत, रमेश आत्मज श्री मांगीलाल आंजना मिलकर खेती किसानी का काम काज करते हैं। वर्तमान में परम्परागत खेती में होने वाली अनेक समस्या जैसे मौसम की मार, घटता उत्पादन, मण्डी में अपनी उपज का उचित भाव न मिलना आदि समस्याओं को देखते हुए तीनों ही युवा कृषकों ने परम्परागत खेती के साथ-साथ कुछ अलग करने की चाह में सब्जियों की खेती करने का विचार बनाया। तीनों ने मिलकर इस पर विचार-विमर्श कर मिर्ची की खेती करने की योजना वनाई। इसके लिये खेती का गहन अध्ययन किया, मिर्ची की उन्नत खेती करने वाले किसानों से मुलाकात की तथा इसे बेचने के लिये आस-पास का मार्केट भी तलाशा तथा शुरुआती तौर पर एक-एक बीघा में तीनों ने मिर्ची लगाने का विचार बनाया।
इनके द्वारा ज्वैलरी, यूएस-611, यूएस- 720 तथा शिमला मिर्ची के पौधे नर्सरी से मंगवाए गए तथा खेत की तैयारी कर मई माह में पौधों को लगाया गया। खेत की तैयारी में श्री फतेलाल आंजना ने बताया कि सबसे पहले खेत की अच्छे से दो बार जुताई की गई, फिर उसमें 5 कि.ग्रा. सल्फर डब्लूडीसी सुपर 100 कि.ग्रा तथा डीएपी 50 कि.ग्रा. प्रति बीघा के मान से डाला गया। इसके साथ जैविक खाद में गोबर की देशी खाद को खाद सड़ाने वाले बैक्टीरिया से अच्छी तरह सड़ा डाला गया तथा इसके पश्चात 2-2 फिट की दूरी पर 3-3 फीट के बेड बनाये गये। इन बेडों पर ड्रिप लाइन बिछाई गई, ड्रिप लाइन बिछाने के पश्चात प्लास्टिक पेपर मल्चिंग पर एक फीट की दूरी पर छेद करके पौधों को लगाया गया। श्री आंजना ने बताया कि मल्चिंग पेपर बेड पर बिछाने से सिंचाई की आवश्यकता कम पड़ती है तथा पानी की नमी लम्बे समय तक बनी रहती है और खरपतवार उगने की समस्या नहीं रहती। इस पद्धति से पौधों का विकास एक समान होता है तथा पौधों पर फूलों की अवस्था में फूलों के झडऩे की समस्या नहीं रहती है तथा उत्पादन में वृद्धि होती है।
वर्तमान में तीनों किसानों ने अपने-अपने खेतों से 10-12 क्विंटल हरी मिर्ची का उत्पादन निकाल लिया है, जिसका औसत भाव 35 रु. प्रति किलो मिला है। इनके द्वारा हरी मिर्ची को राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में बेचा जा रहा है। तीनों ही किसान इससे बहुत खुश हैं तथा इन्होंने यह भी बताया कि यदि सोयाबीन या मक्का की फसल लगाई होती तो इतनी आमदनी नहीं हो पाती।
हमारे द्वारा देखने पर इन किसानों ने बहुत ही अच्छा मैनेजमेंट कर रखा है, यदि इसी प्रकार दवाई एवं खाद का आवश्यक उपयोग होता रहा तो पौधे मई -जून माह तक अच्छा उत्पादन देते रहेंगे।
– प्रस्तुति- अरविन्द धाकड़,
मालवा कृषि सेवा केन्द्र, जावरा
जिला – रतलाम (म.प्र.),
मो. : 9826350889