मध्य प्रदेश सरकार से अपेक्षा कैसे हो ‘मेक इन मध्य प्रदेश’
श्री शिवराज सिंह चौहान
मुख्यमंत्री, म.प्र.
मध्य प्रदेश भूमि एवं जलवायु के मान से शक्कर उद्योग के लिये बहुत ही उपयुक्त क्षेत्र है। आवश्यकता है कि गन्ना विकास एवं शक्कर उद्योग हेतु सुनियोजित नीति बनाकर क्रियान्वित की जावे तो इन विपरीत परिस्थितियों में भी ‘‘मेक इन मध्यप्रदेश’’ का सपना पूरा किया जा सकता है।
मध्यप्रदेश के कृषकों ने गन्ने के प्रति अच्छा रूझान दर्शाया है। पिछले पांच वर्षों में क्षेत्रफल में दोगुनी एवं शक्कर उत्पादन में 5 गुना वृद्धि हुई है। इसी वर्ष क्षेत्रफल 1.25 लाख हेक्टेयर को पार कर सकता है। पिछले वर्ष प्रदेश के कारखानों द्वारा 34 लाख टन गन्ना पेरा गया था एवं लगभग 33.7 लाख क्विंटल शक्कर बनाई गई थी। इसके मुकावले 30 मार्च 2015 तक प्रदेश के 16 शक्कर कारखानों द्वारा 34 लाख टन गन्ने की पिराई कर 32.5 लाख क्विंटल शक्कर बनाई जा चुकी थी। अभी काफी गन्ना खड़ा है एवं 15 शक्कर कारखाने कार्यरत हैं। अनुमान है कि पिराई का आंकड़ा इस सत्र में 38 लाख टन एवं शक्कर उत्पादन 37 लाख क्विंटल के रिकार्ड स्तर को छू सकता है।
*. ‘‘मेक इन मध्यप्रदेश’’ हेतु गन्ना कोष की स्थापना : मध्यप्रदेश अपनी आवश्यकता की 90 प्रतिशत से अधिक शक्कर जिसका मूल्य लगभग 2500 करोड़ रूपये होता है महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश आदि प्रदेशों से मंगाना पड़ती है। अगर बाहर की शक्कर की आवक पर 2 प्रतिशत सेस लगाया जाय तो प्रदेश शासन पर बिना किसी वित्तीय भार के लगभग 5 करोड़ रूपये सालाना से चहँुमुखी गन्ना विकास, अनुसंधान एवं गन्ना उत्पादकों हेतु एक स्वावलंबी कल्याण कोष की स्थापना की जा सकती है। महाराष्ट्र सरकार भी उनके यहां उत्पादित शक्कर पर रू. 10/- प्रति क्विंटल सेेस लगाकर गन्ना विकास एवं अनुसंधान की गतिविधियों का संचालन करती है।
*. प्रदेश में शक्कर उद्योग को सुदृढ़ करने एवं प्रोत्साहन देने के लिये कोजनरेशन एवं इथेनाल प्लांट लगाने हेतु ऋण सुविधायें एवं टेक्स माफी का पैकेज घोषित किया जाना आवश्यक है।
*. मध्यप्रदेश सरकार गैहूँ, चना, सोयाबीन आदि फसलों में प्राकृतिक आपदाओं के कारण नुकसान हेतु हर वर्ष 5000 से 7000 करोड़ रूपये का मुआवजा बांटती है। गैहँू खरीद पर रू. 100 से 150 प्रति क्विंटल बोनस दिया जाता है। इसके साथ ही अगर गन्ना जैसी जोखिम रहित फसलों के प्रोत्साहन हेतु कृषकों को रू. 20 से 30 प्रति क्विंटल का बोनस प्रदान करें तो शक्कर उद्योग बढ़ेगा एवं कृषकों की समृद्धि में आशातीत वृद्धि होगी।
इस विपरीत परिस्थिति से निपटने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने भी रू. 20/- प्रति क्विंटल राहत की घोषणा की है। महाराष्ट्र सरकार ने भी उद्योग को काफी सुविधायें प्रदान की है। विगत में छत्तीसगढ़ शासन भी रू. 20 से 30 प्रति क्विंटल के बोनस की घोषणा करता रहा है।
श्री गौरीशंकर बिसेन
कृषि मंत्री, म.प्र.
देश के बाजारों में शक्कर का भरावा होने एवं निम्नतर स्तर छूते बाजार भावों के कारण गन्ना मूल्य भुगतान की भीषण समस्या ने शक्कर उद्योग को एक पहेली बना दिया है। जितना जल्दी हो सके भारत सरकार 4 करोड़ गन्ना किसानों, 500 से अधिक शक्कर कारखानों एवं करोड़ों उपभोक्ताओं के हित में ‘‘सुदृढ़ राष्ट्रीय शक्कर नीति’’ बनाकर देश के इस महत्वपूर्ण कृषि उद्योग को समृद्ध बनाने की पहल करें।
(समाप्त)