National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

बीजीय मसालों में मशीनीकरण की आवश्यकता

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भारत में 16.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बीजीय मसालों की खेती होती है जिसका सालाना उत्पादन 11.83 लाख टन है। बीजीय मसालों की खेती मुख्य रूप से राजस्थान और गुजरात राज्यों में की जाती है। मध्य प्रदेश, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक आदि राज्यों में भी काफी बड़ा क्षेत्र इसके अंतर्गत आता है। वर्ष 2015-16 में भारत से बीजीय मसालों का अनुमानित निर्यात 2.16 लाख टन था जिसका मूल्य 2,617 करोड़ रुपये है। घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में मसालों की खपत की बढ़ती मांग को देखते हुए, बीजीय मसालों के उत्पादन में वृद्धि की तत्काल आवश्यकता है। विश्वस्तर पर इस मांग को पूरा करने के लिए बेहतर गुणवत्ता के साथ-साथ अधिक उपज देने वाली किस्मों और बेहतर तकनीकों को विकसित करना होगा। बड़े पैमाने पर बीजीय मसालों का उत्पादन करने में कृषि यंत्रों का महत्वपूर्ण योगदान है। कृषि यंत्रीकरण द्वारा कृषि के विभिन्न कार्यों को समय पर पूर्ण करके कृषि क्षेत्र में उत्पादन, उत्पादकता एवं लाभप्रदता बढ़ाने में मदद मिलती है। यंत्रों के उपयोग से समय की बचत के साथ ही साथ कार्यकुशलता एवं दक्षता में भी वृद्धि होती है। यंत्रों द्वारा कृषि में प्रयुक्त आदानों जैसे कि बीज, खाद, सिंचाई जल एवं रसायनों की उचित स्थान पर नियुक्ति की जाती है। जिसके फलस्वरूप उत्पादन की इकाई लागत को कम करके मुनाफे को बढ़ाया जा सकता है। बीजीय मसालों का उत्पादन मुख्यत: छोटे एवं सीमांत किसानों द्वारा किया जाता है। इसका प्रमुख कारण कृषि के विभिन्न कार्यों में प्रयुक्त कृषि यंत्रों की अनुपलब्धता को भी माना जाता है। बड़े पैमाने पर बीजीय मसालों के उत्पादन के लिए भूमि जुताई से लेकर बोवाई, निराई, गुड़ाई एवं गहाई के लिए यन्त्र उपलब्ध है। जिनका उपयोग कस्टम हायरिंग के माध्यम से छोटे तथा सीमांत किसान भी कर सकते हैं।
रेज्डबेड तकनीक
पिछले कुछ वर्षों से रेज्डबेड तकनीक द्वारा फसलों की बोवाई में वृद्धि पाई गयी है। इस तकनीक द्वारा ऊँची उठी हुई क्यारी पर फसलों की बोवाई की जाती है। रेज्डबेड तकनीक द्वारा बोई हुई फसलें कम अथवा बहुत अधिक वर्षा होने पर भी बेहतर उत्पादन देती हैं। भूमि को तैयार करने के बाद रेज्डबेड मेकर यन्त्र द्वारा खेतो में बेड बनाये जाते हैं। बेड की चोड़ाई तथा पंक्तियों के मध्य दूरी विभिन्न फसलों एवं मिट्टी के प्रकार पर निर्भर करती है। रेज्डबेड मेकर यन्त्र में बेड की चौड़ाई को बदलने का प्रावधान होता है।
बोवाई यन्त्र
किसानों द्वारा बीजीय मसालों की बोवाई प्राय: छिड़काव पद्धति द्वारा या छोटे भूखंडों में 25-30 से.मी. कतारी में 1-1.5 से.मी. गहराई में की जाती है। मशीन द्वारा बोवाई करने के लिए मल्टी-क्रॉप सीड स्पाइस प्लान्टर उपलब्ध है। यह प्लान्टर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा निर्मित गया है। यह एक ट्रैक्टर चलित यंत्र है जो कि 7 पंक्तियों में बीजीय मसालों की बोवाई करता है। इसकी सहायता से जीरा, मेथी और धनिये की बोवाई क्रमश: 6.5-7.5, 12-15 और 9-10 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से की जाती है। इस यंत्र की कार्य क्षमता 0.28-0.30 हेक्टेयर प्रति घंटा है। इस प्लान्टर द्वारा पंक्तिबद्ध तरीके से बोवाई करने से बीज दर में भी कमी आती है। इस मशीन का उपयोग करके बीजीय मसालों की बोवाई बड़े पैमाने पर की जा सकती है।
निराई यंत्र
बीजीय मसाला फसलों में सर्वाधिक हानि खरपतवारों से होती है। यह फसल उत्पादन की गुणवत्ता को कम करते हैं। इसलिए, खरपतवारों का समय पर नियंत्रण बहुत जरूरी हैं। खरपतवार नियंत्रण के लिए विभिन्न प्रकार के मानव चलित यन्त्र उपलब्ध है। इन यंत्रों से निराई एवं गुड़ाई का कार्य आसानी से किया जा सकता है। इन उपकरणों का उपयोग कतारीय फसलों में किया जाता है। खुरचने वाला यंत्र, खूंटीदार शुष्क भूमि निंदाई यंत्र, पहिया निंदाई यंत्र इत्यादि मानव चलित खरपतवार नियंत्रक यंत्र हंै जिनकी कार्यदक्षता 0.005-0.01 हेक्टेयर प्रति घंटा है। इन यंत्रों की कार्यकारी गहराई 2-2.5 से.मी. होती है। कतारबद्ध तरीके से बोवाई किये गये बीजीय मसालों की फसल में पॉवरटिलर चलित गहाई यंत्र का भी उपयोग कर सकते हैं। यह उपकरण 8-10 अश्वशक्ति के पावर टिलर से चलाया जाता है। इसके द्वारा चौड़े अंतरवाली बीजीय मसाला फसलों की निंदाई व गुड़ाई की जा सकती है। इसकी कार्यदक्षता 0.18-0.25 हेक्टेयर प्रति घंटा है। इस यंत्र को चलाने में 0.7-1.0 लीटर प्रति घंटा ईंधन की खपत होती है।
की आवश्यकता होती है। अत: मशीन द्वारा गहाई करने के लिए ट्रैक्टर तथा विद्युत मोटर चलित सीडस्पाइस थ्रेशर उपलब्ध है। यह मशीन जीरा एवं धनिये की गहाई करने में सक्षम है। कटाई के बाद फसल को कुछ समय के लिए सुखाया जाता है। उचित नमी की मात्रा होने पर थ्रेशर से गहाई की जाती है। इस मशीन के प्रचालन के लिए 50 अश्वशक्ति के ट्रैक्टर अथवा 5.6 किलोवाट क्षमता की विद्युत मोटर की आवश्यकता होती है। इस थ्रेशर की कार्यदक्षता 240-260 कि.ग्रा. प्रति घंटा है।

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