Crop Cultivation (फसल की खेती)

बीजीय मसाला भण्डारण में कीट प्रबन्धन

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राम गोपाल सामोता द्य डॉ. के.सी. कुमावत
डॉ. एस.के. खींची
email : ramgopal.765@gmail.com

बीजीय मसालों में सिगरेट भृंग, औषधि भण्डार भृंग इत्यादि का प्रकोप हो जाता है इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:
सिगरेट भृंग: सिगरेट भृंग पहली बार तम्बाकू व तम्बाकू उत्पादों में पाया गया था। यह मसालों जैसे जीरा, धनिया, सौंफ, हल्दी, सरसों इत्यादि पर भी जीवन निर्वाह करता है। यह खाद्यान्नों से बने उत्पादों तथा सूखे जांतव उत्पादों पर भी अपना जीवन काल चलाता है। यह कीट हर स्थानों पर पाया जाता है चाहे वहां की जलवायु शीतोष्ण हो या समशीतोष्ण। यह छोटा, खंड युक्त अण्डाकार, पीला भृंग तथा 2.5 मि.मी. लम्बा होता है। मादा अपने जीवन काल में 100 अण्डे देती है। ये अण्डे दीर्घ वृत्ताकार, सफेद तथा हल्के रंग के होते हैं। इसके अण्डों का अण्ड सेवन काल 6-10 दिन होता है। और तत्पश्चात ग्रब निकल आते हैं। पूर्ण विकसित ग्रब करीब 4 मि.मी. लम्बा सफेद-मखनिया रंग के होते हंै। ग्रब मसाले के दानों को भेद कर काफी नुकसान पहुंचाते हैं। ग्रब काल लगभग 40 दिन का होता हैं। पूर्ण विकसित ग्रब प्यूपा में बदल जाते हैं। प्यूपावस्था 6-10 दिन की होती है। वयस्क कीट कोकून से निकलने के पहले 3-7 दिन तक निश्चल पड़ा रहता हैं और निकलने के पश्चात् कुछ दिन तक शिथिल अवस्था में रहता है। इस कीट का रंग धीरे-धीरे गहरा हो जाता हैं और बाद में लाल भूरे रंग का होता है। आमतौर पर वयस्क कीट 3-6 सप्ताह तक जीवित रहता हैं। मादा नर से बड़ी होती है। ये कीट संध्या से रात्रि भर सुगमता पूर्वक उड़ते रहते हैं। अण्डे देने के लिए 24-37 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान अनुकूल रहता है। ग्रीष्मकाल में यह अपना जीवन काल 6 सप्ताह में पूर्ण कर लेता है।
औषधि भण्डार भृंग: औषधि भण्डार भृंग सिगरेट भृंग से थोड़ा लम्बा होता है। इसके पंखावरण धारीदार होते हैं। वयस्क कीट की लम्बाई 2.5-3.5 मि.मी. होती है। यह भृंग बेलनाकार, सुदृढ तथा उत्तल होता है। इसका शरीर कोमल रेशमी लोमावरण से ढका रहता है। यह एक सर्वभक्षी कीट है। यह हल्के भूरे रंग का होता है। इसके आहार में काली मिर्च, औषधियां भण्डारित अनाज, मसाले, चमड़ा, लकड़ी तथा कपड़े शामिल हैं। यह औषधियों, अनाज व अनाज से बनी वस्तुओं व मसालों में प्रजनन करता है। इसका जीवन चक्र सिगरेट भृंग के समान होता है। यह कीट 15-35 डिग्री सेल्सियस तापमान एवं 30-100 प्रतिशत आपेक्षिक आद्र्रता पर जीवित रहता है।
भण्डारण से पहले
1. बीजीय मसालों को भण्डारित करने से पहले भण्डारण के काम में लिये जाने वाले बोरे, भण्डारण संरचना एवं भण्डार गृहों की भली- भांति सफाई कर लें।
2. भण्डार गृहों में यदि दरारें हो तो इनकी मरम्मत करें ताकि नाशी-कीट एवं उनकी जीवन अवस्थाएं उनमें शरण न ले पायें।
3. भण्डार गृह चारे के भण्डार एवं पशुओं के बाड़े से दूर स्थित हों। इस तरह के स्थान बहुत सारे नाशी कीटों के शरण स्थल होते हैं। एवं भण्डारित मसालों एवं अन्य धान्यों की नमी बढ़ाने में सहायक होते हैं।
4. नाशी कीटों के प्रकोप से बचाव हेतु यह आवश्यक हैं कि परिवहन के साधन जिन्हें मसालों के एक से दूसरे स्थान पर परिवहन हेतु काम में लेने हैं, उन्हें भली प्रकार साफ कर लें।
5. पुराने बोरों को भली-भाँति साफ कर लें एवं तेज धूप में अच्छी तरह सुखा लें।
6. बीजीय मसालों में नमी की मात्रा 10 प्रतिशत से कम होनी चाहिए, यदि ऐसा नहीं है तो भण्डारित करने से पूर्व अच्छी तरह छाया में फैलाकर सुखा लें।
7. भण्डार गृहों व भण्डारण संरचनाओं को कीट विहीन करने हेतु मैलाथियान 50 ई.सी. का 10 मिली./लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें अथवा एल्यूमिनियम फास्फाइड द्वारा 70 टिकिया/100 क्यूबिक मी. को दूर से ध्रूमन करें।
8. वर्षा काल में भण्डार गृहों को कम से कम खोलें ताकि मसालों में नमी की मात्रा न बढ़ पायें। नमी बढऩे से नाशी कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है।
9. बोरों को रखे जाने वाले लकड़ी के पाटे इत्यादि नाशी कीटों रहित होना आवश्यक है ताकि मसालों में नाशी कीटों का प्रकोप रोका जा सके।

भण्डारण के पश्चात
1. सतह उपचार: मसालों से भरे बोरों पर मैलाथियॉन 50 ई.सी. अथवा डाइक्लोरवॉस 76 ई.सी. का 10 मि.ली./लीटर पानी की दर से छिड़काव करें ताकि मसालों में प्रवेश करने से पहले नाशी कीटों को मारा जा सकें।
2. भण्डारित मसालों में कीटों के प्रकोप को रोकने हेतु एल्यूमिनियम फास्फाइड 140 टिकिया/100 क्यूबिक मीटर अथवा मिथाइल ब्रोमाइड 24-32 ग्राम/क्यूबिक मीटर द्वारा ध्रूमन करें। इथाइलीन डाईब्रोमाइड 3 मि.ली./क्विंटल भी अति प्रभावशाली पाया गया है।

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