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बालाघाट के किसानों को वैज्ञानिको ने बताए अच्छी फसल के गुर

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बालाघाट। जिले में कृषि विभाग के तारतम्य में पी.पी. पार्टनर के.जे. एजुकेशन सोसायटी ने किरनापुर, बालाघाट के सेवती, मंगोलीकला, पेण्डरई में किसानों का चयन कर समूह निर्माण, आवासीय प्रशिक्षण कर कृषि विज्ञान केन्द्र बडग़ांव के वैज्ञानिक डॉ. सतेन्द्र कुमार ने सिंघाड़े के उत्पादन के बारे में किसानों को जान·ारी दी।

मछली में कतला, नील व्हेल प्रजातियों की जान·ारी दी। डॉ. सी.एल. वाकतोड़े ने धान के झुलसा या ब्लास्ट रोग के निदान बताये। साथ ही सब्जी उत्पादक कृषको ने वैज्ञानिक परिचर्चा में पूछा कि इसे हम लगाते लेकिन रोग एवं कीटाणु लगने से इसकी रोकथाम सही समय पर नहीं होने से अधिक उत्पादन नहीं हो पाता है। जिससे किसानों को सब्जी उत्पादन पर लागत अधिक आ जाती है।

इस कारण अच्छा उत्पादन लेने से वंचित हो जाते हैं। इसलिये के.जे. एजुकेशन द्वारा किसानों को वैज्ञानिको के माध्यम से जैविक खेती, सब्जी उत्पादन, मसाला फसल, मुर्गी पालन, बीज उत्पादक समिति तथा दुग्ध संघ समिति का गठन करने के किसानों से चर्चा हुई जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी। जिसमें किसानों ने बढ़-चढ़कर भाग लेने की इच्छा जताई है। इस आयोजन में उपस्थित डॉ. सतेन्द्र कुमार, डॉ. सी.एल. नाकतोड़े, प्रतिभा टेम्भरे, सुश्री स्वर्णा बन्सोड़, श्री एल.के. चकोरे उत्कृष्ट कृषक श्री कुश भऊरकर, श्री गणेश तुरकर, श्री लिक्खन गराड़े, के.जे. एजुकेशन सोसायटी से देवेन्द्र दुबे उपस्थित थे।

कृषको को दी नई चेतना
कृषि विभाग के संबद्ध आत्मा पी.पी. पार्टनर के.जे. एजुकेशन सोसायटी द्वारा किसानों को जिले के बाहर प्रशिक्षण व अंदर भ्रमण छिंदवाड़ा जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र में किसानों को प्रशिक्षण दिलाया गया। साथ ही छिंदवाड़ा के.व्ही.के. के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुरेन्द्र पन्नासे ने सब्जी उत्पादन

के संबंध में प्रेरित किया। डॉ. एस.डी. सवरकर ने गेहूं उत्पादन तकनीक, तुअर की अर्ली जाति लगाने की विधि बताई। डॉ. घनश्याम देशमुख ने किसानों को कृषि यंत्रों की जानकारी दी। साथ ही ड्रिप सिस्टम प्रणाली की विधि के साथ गेहूं, चना तथा अलसी की प्रजातियों के बारे में बताया एवं एजोला से हरी खाद बनाने की विधि की जानकारी दी।

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