Uncategorized

बांस के रूप में तीसरी फसल लें किसान : श्री कियावत

उज्जैन। जिस तरह से आज क्षिप्रा नदी का कटाव हो रहा है इसे देखते हुए लग रहा है कि शीघ्र ही आने वाले समय में किनारे के खेतों में अपने में समेट लेगी। ऐसे समय में क्षिप्रा नदी के किनारे की खेती करने वाले किसान बांस को तीसरी फसल के रूप में उपयोगी फसल बना सकते हैं।
क्षिप्रा नदी के कटाव और खान नदी के जल का उपयोग पीने और खाद्य फसलों को उपजने में उपयोग नहीं हो। इसके लिए जिला प्रशासन, कृषि, उद्यानिकी और वन विभाग ने मिलकर गांव व किसानों के साथ संगोष्ठी का आयोजन किया। किसानों को सम्बोधित करते हुए कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत ने उक्त बात कही। उन्होंने कहा खान नदी का जल मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक है। नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल ने खान नदी को अत्यंत जहरीली नदी बताया है। ऐसी स्थिति में खान नदी के जल का उपयोग पेयजल और खाद्य सामग्री की फसलों को सिंचने में किया जाता है तो यह खतरा मोल लेने जैसी स्थिति होगी। वन विभाग के सीसीएफ श्री पी.सी. दुबे ने कहा क्षिप्रा नदी के कटाव को रोकने किसान अपने खेतों की मेड़ पर अच्छी किस्म के बांस लगाये।
कलेक्टर श्री कियावत ने किसानों से पूछा एक मौसम में एक एकड़ में कितना आंशिक लाभ होता है, इस पर किसानों ने कहा एक एकड़ में एक फसल से उन्हें 8 हजार का मुनाफा होता है। इस पर बैंबू मिशन की कार्यकर्ता सुश्री भूमिका ने बताया कि कटंगा जाति का बांस सबसे उच्च कोटि का बांस होता है, जिसके एक बिर्रा से प्रतिवर्ष 1 से 2 हजार का मुनाफा आसानी से होता है। यह बांस 4 से 5 वर्ष में पककर तैयार हो जाता है। एक एकड़ में 10 से 15 फीट पर 350 पौधे आसानी से लगाए जा सकते हैं।

Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *