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बांदा के कृषकों ने जानी पॉली हाउस तकनीक

इंदौर। इंदौर जिले के प्रगतिशील किसान श्री मदनसिंह यादव ने परंपरागत खेती से इतर पॉली हाउस तकनीक से गुलाब की खेती प्रारंभ की है। हालांकि इससे पूर्व वे शिमला मिर्च, टमाटर आदि का उत्पादन करके प्रसिद्धि हासिल कर चुके हैं। श्री यादव पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं। उनके फार्म हाउस पर बांदा से आए 12 सदस्यीय किसानों का दल पॉली हाउस तकनीक से रूबरू हुआ।
श्री यादव ने अप्रैल से पॉली हाउस तकनीक से गुलाब की खेती करनी शुरू की है। पॉली हाउस तकनीक में मृदा की तैयारी, तापक्रम एवं शुद्ध वातावरण का विशेष ध्यान रखना होता है। यहां तक कि कोई संक्रमित कपड़ों वाला व्यक्ति प्रवेश कर जाए तो भी हानि होती है।
सब्जी उत्पादन
श्री यादव कहते हैं, पॉली हाउस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ है- मौसम परिवर्तन का फसलों पर कोई प्रभाव नहीं पडऩा। इस तकनीक की मदद से उद्यानिकी अर्थात् सब्जियों की खेती कर अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। पॉली हाउस में टमाटर, शिमला मिर्च, ककड़ी जैसी फसलों का स्वस्थ और भरपूर उत्पादन लिया जा सकता है।
बांदा के किसानों को श्री यादव ने बताया जैविक मानकों पर खरा उतरने,ॅ वे विभिन्न फसलों के बीज स्वयं बनाते हैं। उन्होंने इसके लिए कुछ बीज कम्पनियों से अनुबंध भी किया है।
हाईटेक डेयरी
श्री यादव ने अपने फार्म हाउस पर हाईटेक डेयरी स्थापित की है। उच्च नस्लों की 100 गायों से दूध उत्पादन लिया जा रहा है। उत्पादित दूध अच्छे दामों पर (गाय-47.50, भैंस-दूध 52.50 रु.) हाथों-हाथ बिक जाता है। वे बताते हैं, देसी गाय का घी 1000 रु. प्रति किलो तक बिकता है।
मुर्गीपालन
आपने अपने फार्म हाउस पर मुर्गियां भी पाल रखी हैं, जो कीट-पतंगों की सफाई अभियान का एक हिस्सा है। श्री यादव जल संरक्षण के प्रति भी जागरूक हैं। उन्होंने खेत का पानी खेत में रोकने के लिए तीन तालाबों का निर्माण किया है। इन तालाबों के कारण पानी की पर्याप्त आपूर्ति संभव हो पाती है। वहीं उन्होंने एक कोल्ड स्टोरेज का भी निर्माण किया है।
बांदा से आए दल के मुखिया श्री शांतिभूषण चतुर्वेदी के साथ श्री अशोक कुमार पटेल, समरजीतसिंह गौतम, श्यामशरणसिंह फौजी, किशनसिंह एवं श्रीचंद्र सिंह आदि लगभग दर्जनभर किसान थे, जिन्होंने केजे एजुकेशन सोसायटी द्वारा खरगोन में आयोजित कृषि मेले में सहभागिता की एवं कलेक्टर श्री नीरज दुबे से भी मुलाकात की। दल ने मिर्च के मिलेनियर किसान श्री शंकरलाल पाटीदार के फार्म हाउस पर जाकर खेती के गुर सीखे।

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