बरसात में पौधे रोपण के लिये गड्ढे अभी बनायें
गर्मियों का मौसम फलदार पौधों के रोपण हेतु गड्ढे बनाने के लिये सबसे उपयुक्त है। आगामी वर्षाकाल में फलदार पौधे रोपने के लिये गड्ढे अप्रैल-मई माह में बनायें। ज्यादा बढऩे वाले पौधें जैसे – आम, आंवला, कटहल इत्यादि के लिये पौध से पौध एवं कतार से कतार दस-दस मीटर की दूरी रखें। मध्यम आकार में बढऩे वालें पौधे जैसे- नींबू, अमरूद इत्यादि के लिये छ: से आठ मीटर की दूरी रखें। गड्ढों का आकार एक मीटर लंबा, एक मीटर चौड़ा एवं एक मीटर गहरा रखें। इस मौसम में तैयार किये गये गड्ढों का गहराई तक शुद्धि सूर्य की तेज धूप से हो जाती है। जिससे बारिश में रोपे गये पौधों का विकास तेज गति से होता है। फलदार पौधों के गड्ढों का फासला किसी भी स्थिति में छ: मीटर से कम न रखें। बेहतर ले-आउट के लिये नायलोन की रस्सी का प्रयोग करें।
फलदार पौधों का रोपण ऐसे करें –
बारिश का मौसम प्रारंभ हो चुका है। इस समय आप आम, अमरूद, नींबू, कटहल इत्यादि फलदार पौधों का रोपण कर सकते हैं। रोपण के लिये यदि आपने गर्मियों में गड्ढे तैयार कर लिये हंै, तो अति उत्तम है। यदि आपने पूर्व में गड्ढे तैयार नहीं किये हैं तो, बारिश के मौसम में गड्ढे तैयार करने में दिक्कत होती है। ऐसी अवस्था में पॉलीथिन की थैली की गहराई के गड्ढे तैयार कर, निश्चित दूरी पर पौध रोपण किया जा सकता है। पौधे जब लगा लें, उसके बाद उसके चारों ओर गोला में खाद इत्यादि दी जा सकती है, लेकिन रोपण के समय लगभग 10 ग्राम फोरेट दानेदार गड्ढों में अवश्य डालें, ताकि दीमक से पौधे की सुरक्षा हो सकें।
पौधों के रोपण में मुख्य रूप से दो बातों का ध्यान रखें, पहला-कलमी पौधों में कलम वाला भाग जमीन से कम से कम चार अंगुल ऊपर रहे, और दूसरा बारिश का पानी पौधें के आसपास एकत्रित न होने पाये। पौधों को मिट्टी के अन्दर सिर्फ उतनी ही गहराई पर गाडं़े, जितनी कि थैली की मिट्टी है। रोपण के पूर्व दीमकनाशक अवश्य डालें।
पौधे विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत उद्यान विभाग की नर्सरी से प्राप्त किये जा सकते हैं। शासन द्वारा नियमानुसार अनुदान भी कृषकों को दिया जाता है। अनुदान की पात्रता निश्चित रकबे में सुनियोजित रोपण पर होती है। फुटकर दो-चार पौधे भी नर्सरियों से क्रय किये जा सकते हंै। जिले के प्रत्येक विकासखण्ड में उद्यान विभाग की नर्सरी स्थित है।
आम, आंवला, अमरूद, कटहल, इत्यादि पौधों के रोपण में 10 मीटर एवं पपीता में 3 मीटर का अन्तर रखना चाहिये। कम विकसित होने वाले पौधे नीबू, इत्यादि के रोपण में छ: मीटर पौध सेे पौधा एवं कतार से कतार का अन्तर रखें। इतने अन्तर पर, पौधे रोपने पर पौधों के बीच के स्थान पर, आप प्रारम्भिक वर्षों में पूर्व की तरह फसलों एवं सब्जियों की फसल ले सकते हंै, और पौधों की पूरी बाढ़ की अवस्था या वृक्ष की अवस्था के बाद इनकी छांव में मिर्च, अदरक, हल्दी, इत्यादि फसलें ली जा सकती हैं। पौधों की उचित बढ़वार एवं फलन के लिये हर वर्ष रसायनिक खाद का प्रयोग एवं अन्य उपचार आवश्यक होते हैं।