बदलें अपनी लाइफ स्टाइल
अपनाएं बस 3 आदतें
हम अपनी जीवनशैली में थोड़े से परिवर्तन करके बीमारियों से काफी हद तक मुक्ति पा सकते हैं। 1 गोली खाना बहुत आसान है बजाय जीवनशैली बदलने के, लेकिन गोली नुकसान पहुंचाती है जबकि दिनचर्या बदलने से आप एक खूबसूरत जिंदगी के मालिक बन जाते हैं।
नियमित व्यायाम- 30-45 मिनट कोई भी एरोबिक एक्टिविटी करें। स्वीमिंग, जॉगिंग, डांस, एक्सरसाइज, ब्रिस्क वॉक में से कोई भी एक्टिविटी आप कर सकते हैं।
पानी पिएं – पानी शरीर में विषैले पदार्थ बाहर निकालने में मदद करता है। यह शरीर में पानी का स्तर बनाए रखने के साथ-साथ त्वचा को भी युवा एवं चिकनी बनाए रखता है। शरीर के तापमान को भी नियंत्रित करता है। कभी भी प्यास लगने का इंतजार न करें।
नियमित ब्रेकफास्ट करें- यह दिन का सबसे महत्वपूर्ण आहार है। यह आपको दिनभर कार्य करने की ऊर्जा प्रदान करने के साथ-साथ आपकी एकाग्रता एवं याददाश्त बढ़ाता है। मांसपेशियों के तालमेल को बढ़ाता है।
प्रार्थना से होता है सेहत में सुधार
सन् 1988 में प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. रूडोल्फ व्यार्ड ने अपने अध्ययन द्वारा एक कम्प्यूटर के माध्यम से सेन फ्रांसिस्को के जनरल अस्पताल के लगभग 400 दिल के मरीजों के स्वास्थ्य सुधार के लिए भक्ति एवं प्रार्थना की जिससे उन मरीजों की बीमारी में आश्चर्यजनक लाभ हुआ और शेष मरीज जिनके लिए प्रार्थना नहीं की गई थी उन्हीं कठिन परिस्थितियों में रहे।
कई प्रयोगों से यह निष्कर्ष निकलता है कि प्रार्थना करने वाले के पवित्र विचार, सहानुभूति, करुणा एवं प्रार्थना किए जाने वाले के प्रति चिंतित रहना उसके स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
हारवर्ड मेडिकल स्कूल में डॉ. हर्बट बेनसन ऐसे प्रथम अनुसंधानकर्ता थे जिन्होंने भक्ति, प्रार्थना एवं ध्यान से तनावमुक्ति एवं स्वास्थ्य लाभ के संबंध में अध्ययन किया। उनके निष्कर्षों के अनुसार विभिन्न धर्मों की प्रार्थना, पूजा पद्धति से एक समान स्वास्थ्यवर्धक परिवर्तन होते है, इसे उन्होंने विश्राम अनुक्रिया का नाम दिया। उसी अध्ययन को बाद में ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में आगे बढ़ाया गया। 2012 में अध्ययनकर्ता डॉ. जॉन मैश ने इस बात को पुख्ता तौर पर प्रमाणित किया कि वाकई प्रार्थना से चमत्कारिक लाभ होते हैं।
उन्होंने 500 मरीजों के लिए उन्हीं के साथ खुद प्रार्थना की और पाया कि एकाग्र मन से जिन लोगों ने अपने सेहतमंद होने की कामना की और जिनके लिए जॉन ने प्रार्थना की, उन्हें 25 दिनों के अंदर आश्चर्यजनक लाभ मिले।
जिनके नाम उनकी प्रार्थना की सूची में शामिल नहीं थे उनकी तबियत में कोई सुधार नहीं हुआ। जॉन का कहना है कि जब हम किसी के लिए प्रार्थना करते हैं तो ब्रह्मांड की सकारात्मक तरंगे और हमारे शुभ भाव एकत्र होकर मरीज के आसपास अदृश्य कवच का निर्माण करते हैं जैसा कि भारतीय शास्त्रों में वर्णन मिलता है। इन मरीजों में गंभीर रूप से बीमार मरीज भी शामिल थे। जॉन अपने अध्ययन को भारतीय संस्कृति से जोड़कर आगे बढ़ाना चाहते हैं। भारत में धर्म और संस्कृति के आधार पर सेहतमंद होने की प्राचीन परंपरा है।