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प्लास्टिक मल्च का कृषि उन्नत में उपयोग

प्लास्टिक पलवार : प्लास्टिक मल्चिंग पौधों के चारों तरफ की भूमि को प्लास्टिक फिल्म से व्यवस्थित रूप से ढकने की क्रिया है। ये सस्ती, आसानी से उपलब्ध एवं सभी  मोटाई व रंगों में उपलब्ध होती है। मिट्टी से नमी के वाष्पीकरण, पानी का कम उपयोग और मिट्टी कटाव को रोकती है। इस प्रकार पलवार जल सरंक्षण में एक सकारात्मक भूमिका निभाती है तथा पैदावार बढ़ाने में मदद करती है।
प्लास्टिक पलवार के प्रकार: प्लास्टिक मल्चिंग में विभिन्न रंग जैसे काली, नीली व पारदर्शी पलवार प्रधानत: उपयोग में लायी जाती है इसके अतिरिक्त कभी-कभी दो रंगों की पलवार का भी जैसे सफेद-काली, सिल्वर-काली, लाल-काली या पीली-भूरी उपयोग में लायी जाती है। सामान्यत: काली या सफेद काले रंग की प्लास्टिक पलवार मुख्यत: उपयोग में ली जाती है।
प्लास्टिक पलवार को बिछाते समय ध्यान देने योग्य बातें

  • प्लास्टिक फिल्म हमेशा सुबह या शाम के समय लगानी चाहिए।
  • मल्च फिल्म को बिछाने के बाद उसमें ज्यादा तनाव नहीं होना चाहिये अन्यथा मौसम के तापमान में वृद्धि व कृषि क्रियाओं के समय इसके फटने की संभावना रहेगी।
  • मल्च फिल्म को सर्वाधिक गर्मी के समय न बिछाएं।
  • एक बार उपयोग होने के बाद सावधानी पूर्वक लपेटकर रखी गई फिल्म को दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है, अत: यह सुनिश्चित करें कि यह फटने न पाए। मिट्टी चढ़ाने में दोनों साइड एक जैसी रखें। फिल्म की घड़ी (फोल्ड करना) हमेशा गोलाई में करें
  • पलवार फिल्म में छिद्र बड़े व्यास के पाइप हथोड़े अथवा पंच के माध्यम से बनाये जाते है।
  • फसल के लिए आवश्यक खाद एवं उर्वरकों को पलवार बिछाने से पहले भूमि में मिला देना उपयुक्त रहता है।
  • बीजों की बिजाई एवं पौधों की रोपाई पलवार के छिद्रों में सीधी करनी चाहिए।

सिंचाई व्यवस्था: पलवार लगाई गई फसलों में ड्रिप (बूंद-बूंद) सिंचाई विधि उपयुक्त होती है। इस विधि में लेटरल को पलवार के नीचे रखा जाता है जिससे सिंचाई एवं उर्वरकीकरण में आसानी रहती है। तथा भूमि में नमी का संरक्षण रहता है। अंत:शस्य क्रियाओं की स्थिति में लेटरल एवं ड्रिपर को पलवार के ऊपर रखते हुए पतली पाई के माध्यम से या पलवार में छिद्र करके पानी का प्रवाह सुनिश्चित किया जाता है।
पलवार को हटाना एवं निस्तारण: पलवार को फसल की कटाई के बाद खेत से हटा कर सही तरह से दुबारा उपयोग के लिए रख देना चाहिए। अगर यह प्रक्रिया नहीं की जाती है तो पलवार मिट्टी में अपघटित नहीं होती है जिससे खेत में प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या हो जाती है।
प्लास्टिक पलवार की अनुमानित लागत
80 प्रतिशत क्षेत्र के आवरण के आधार पर सब्जी वाली फसलों में प्लास्टिक पलवार को बिछाने की अनुमानित लागत रु. 20000/- प्रति हेक्टेयर (2/मीटर) है। इसी प्रकार 40 प्रतिशत क्षेत्र के आवरण के आधार पर फल वाली फसलों में प्लास्टिक पलवार को बिछाने की अनुमानित लागत रु. 14000/- प्रति हेक्टेयर (1.4 मीटर) है। पलवार को लगाने का खर्च व पालीमर की कीमत बार.बार बदलने से प्लास्टिक पलवार की लागत में बदलाव आता है।
सरकारी अनुदान :
देश की कई राज्य सरकारों ने प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक का इस्तेमाल करने पर किसानों को अनुदान की सुविधा दे रखी है। मध्य प्रदेश सरकार प्लास्टिक मल्चिंग की लागत का 50 प्रतिशत या फिर अधिकतम 20 हजार रूपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान दे रही है।
निष्कर्ष :
प्लास्टिक पलवार फसल की पैदावार बढ़ाने ए फसल की नमी को बनाये रखने, वाष्पीकरण रोकने एवं मिटटी के कटाव को भी रोकती है। और खेत में खतपतवार को होने से बचाया जाता है। बागवानी में होने वाले खतपतवार नियन्त्रण एवं पौधों को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने में बहुत सहायक होती है।

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