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देश में 27 करोड़ टन से अधिक होगा खाद्यान्न उत्पादन

नई दिल्ली। कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा वर्ष 2016-17 के लिए मुख्य फसलों के उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमानों को जारी किया गया है। मानसून 2016 के दौरान अच्छी वर्षा के परिणामस्वरूप, मौजूदा वर्ष में देश में रिकार्ड खाद्यान्न उत्पादन हुआ है। 2016-17 के लिए दूसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन 27 करोड़ 19 लाख टन होने का अनुमान है। मौजूदा वर्ष का उत्पादन भी विगत पॉंच वर्षों (2011-12 से 2015-16) के औसत खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 1 करोड़ 49 लाख टन अधिक है।
चावल का कुल उत्पादन 10 करोड़ 88 लाख टन अनुमानित है। चावल के उत्पादन में 2015-16 के दौरान 10 करोड़ 44 लाख टन उत्पादन की तुलना में 44 लाख टन की वृद्धि हुई है। गेहूँ का उत्पादन जो 9.66 करोड़ टन अनुमानित है। मौजूदा वर्ष का उत्पादन 2015-16 के दौरान प्राप्त 9.22 करोड़ टन गेहूँ उत्पादन की तुलना में 43 लाख टन अधिक है।  मोटे अनाजों का उत्पादन जो 4.43 करोड़ टन के एक नए रिकार्ड स्तर पर अनुमानित है, औसत उत्पादन की तुलना में 30 लाख टन अधिक है। मौजूदा वर्ष का उत्पादन भी 2015-16 के दौरान प्राप्त 3.85 करोड़ टन उत्पादन की तुलना में 58 लाख टन अधिक है। सभी मुख्य दलहनों के क्षेत्रीय कवरेज एवं उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि के परिणामस्वरूप, 2016-17 के दौरान दलहनों का कुल उत्पादन 2.21 करोड़  टन तक अनुमानित है। 2016-17 के दौरान दलहनों का उत्पादन भी पांच वर्षों के औसत उत्पादन की तुलना में 45 लाख टन अधिक है। मौजूदा वर्ष का उत्पादन विगत वर्ष के 1.63 करोड़ टन उत्पादन की तुलना में 57 लाख टन अधिक है। विगत वर्ष की तुलना में 83 लाख टन की वृद्धि के साथ, देश में कुल तिलहन उत्पादन 3.36 करोड़ टन के रिकार्ड स्तर पर अनुमानित है। 2016-17 के दौरान तिलहनों का उत्पादन भी पांच वर्षों के औसत तिलहन उत्पादन की तुलना में 43 लाख टन अधिक है। मौजूदा वर्ष का उत्पादन 2015-16 के दौरान 2.52 करोड़ टन उत्पादन की तुलना में बहुत अधिक है।  गन्ने का उत्पादन 30 करोड़ 99 लाख टन तक अनुमानित है जो विगत वर्ष के 34 करोड़ 84 लाख टन उत्पादन की तुलना में 3.84 करोड़ टन कम है।

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2016-17 के दौरान कम क्षेत्रीय कवरेज के बावजूद, कपास की उच्चतर उत्पादकता के परिणामस्वरूप, 2015-16 के दौरान 3.01 करोड़ गांठों की तुलना में 3.25 करोड़ गांठों (प्रति 170 कि.ग्रा.) का अधिक उत्पादन हुआ।

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