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देश में जैविक बीज उपलब्ध करवायेगा मध्य प्रदेश

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भोपाल। मध्य प्रदेश जल्दी ही पूरे देश में जैविक बीज की माँग पूरी करने में सक्षम बन जायेगा। इसके लिए जैविक बीज उत्पादन कार्यक्रम को अंतिम रूप दे दिया गया है। जैविक बीज उत्पादन के लिए कृषि विभाग के 8 कृषि प्रक्षेत्र और मध्यप्रदेश बीज विकास निगम के 2 प्रक्षेत्र को चुना गया है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने गत दिनों कृषि विभाग की समीक्षा की। उन्होंने राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था के क्षेत्रीय कार्यालय खोलने के निर्देश दिए। इससे जैविक किसानों को उनके उत्पादों का प्रमाणीकरण करवाने में आसानी होगी। बैठक में बताया गया कि अब तक जैविक खेती करने वाले 26 हजार से ज्यादा किसान का पंजीयन किया गया और प्रक्रिया अभी जारी है। इन किसानों का पूरा विवरण ऑनलाइन उपलब्ध होगा। विगत दो दशक में प्रदेश ने कृषि के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। सभी मुख्य फसलों विशेष रूप से गेहूँ, सोयाबीन, मक्का और अरहर के क्षेत्रफल में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है। तिल की खेती भी बढ़ी है। अनाज उत्पादन 2005-06 में 135 लाख मीट्रिक टन था जो बढ़कर 318 लाख मीट्रिक टन हो गया है। उद्यानिकी का क्षेत्र पाँच गुना बढ़ गया है। यह 2005-06 में 4.69 लाख हेक्टेयर था, जो बढ़कर 15.18 लाख हेक्टेयर हो गया है।
प्रमाणित बीज उत्पादन में मध्य प्रदेश ने अन्य राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। आज प्रदेश में 44 लाख क्विंटल बीज उत्पादन हो रहा है। खेती से होने वाली आर्थिक प्रगति का अनुमान ट्रेक्टर की बिक्री से लगाया जा सकता है। वर्ष 2004-05 में 22 हजार ट्रेक्टर की बिक्री हुई थी। इसके मुकाबले आज तक 87 हजार ट्रेक्टर खरीदें जा चुके हैं, जो लगभग चार गुना ज्यादा है। कृषि विकास दर करीब 25 प्रतिशत तक बढ़ गयी है।
केंद्रीय कृषि योजनाओं की समीक्षा करते हुए श्री चौहान ने कहा कि समान उद्देश्यों वाली अलग.अलग योजनाओं को व्यावहारिक दृष्टि से एक साथ जोडऩे का सुझाव केंद्र को दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने खरीफ 2015 की तैयारियों की भी समीक्षा की। बैठक में कृषि मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन, मुख्य सचिव अंटोनी डिसा, प्रमुख सचिव कृषि डॉ.राजेश राजौरा, मुख्यमंत्री के सचिव श्री विवेक अग्रवाल बीज निगम के प्रबंध संचालक श्री आर.के. गुप्ता एवं अपर संचालक कृषि श्री के.एस. टेकाम सहित कृषि विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने 25 मई से 15 जून, 2015 तक होने वाले कृषि महोत्सव के दौरान किसानों को वैज्ञानिक परामर्श का संपूर्ण पेकेज बनाने के निर्देश दिए। उद्यानिकी के क्षेत्र में अपूर्व संभावनाओं की चर्चा करते हुए उन्होंने किसानों के बीच उद्यानिकी फसलों के बारे में परामर्श देने की श्रंखला की शुरुआत करवाने को कहा। किसान मित्रों और किसान दीदी को सरकार और किसानों के बीच संवाद की महत्वपूर्ण कड़ी बताते हुए कहा कि इनका उपयोग किसानों को परामर्श देने के लिए किया जाना चाहिये।

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