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दालों का ठिठका उत्पादन और बढ़ती जमाखोरी

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(विशेष प्रतिनिधि)

नई दिल्ली/भोपाल। देश में दालों का बफर स्टाक होने के बावजूद कीमतें आसमान छू रही हैं। गरीब की थाली से दाल नदारद हो गई है वह सूखी रोटी खाने को मजबूर है। इधर केंद्र सरकार राज्यों से दालों की मांग पूछ रही है जिससे सुरक्षित भंडार से पूर्ति की जा सके, परंतु कब मांग आएगी और कब पूर्ति होगी, तब तक बिना दाल के गरीब, मजदूर और आमजन का निवाला कैसे उदर में जाएगा यह चिंता का विषय है। यहां वही कहावत चरितार्थ हो रही है कि न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी।

देश में लगातार दो वर्षों से सूखा पडऩे के कारण दलहन उत्पादन में गिरावट आयी है। एक उत्पादन में कमी, दूसरा दालों की जमाखोरी के कारण कीमतें 170 रु. प्रति किलो तक पहुंच गई हैं। इसके और बढऩे की संभावना है। सरकार कीमतों पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है। जबकि कीमतों पर नियंत्रण तथा पर्याप्त मात्रा में दालों की उपलब्धता के लिए सरकार ने आयात कर बफर स्टाक बनाया है। साथ ही 25 हजार टन दाल आयात के लिये अनुबंध किया गया है। परंतु इससे गरीब वर्ग एवं आमजन को राहत नहीं मिली है।
इधर केंद्र का कहना है कि सरकार मूल्य नियंत्रण तथा उपलब्धता के लिए निरन्तर प्रयास कर रही है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने केबिनेट की बैठक के बाद बताया कि दालों का 50 हजार टन का बफर स्टाक बनाया गया है। सरकारी और निजी एजेंसियां दालों का आयात भी कर रही हैं। निजी एजेन्सियों ने अब तक 55 लाख टन का आयात किया है जो गत वर्ष की तुलना में 10 लाख टन अधिक है।
लेकिन इन तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद दालों की कीमतें तेज रहने के ही आसार हैं। सूखे के कारण उत्पादन में वृद्धि की संभावना लगभग नगण्य है। कृषि मंत्रालय ने भी वर्ष 2015-16 के लिये अपने दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान में दालों का कुल उत्पादन 1.73 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया है।
वहीं दूसरी तरफ म.प्र. में भी दलहनी फसलों की स्थिति ठीक नहीं है। वर्ष 2015-16 में खरीफ और रबी के पूर्वानुमान के मुताबिक 50.54 लाख टन दलहन उत्पादन का अनुमान लगाया गया है लेकिन वास्तव में कितना उत्पादन आता है। इसके लिये प्रतीक्षा करनी होगी। इसी प्रकार वर्ष 2014-15 में कुल दलहन उत्पादन 43.87 लाख टन हुआ था। इसमें मूंग, उड़द, तुअर, चना एवं अन्य दलहनी फसलें शामिल हैं। प्रदेश में जहां तक केवल तुअर उत्पादन का सवाल है तो यह वर्ष 2012-13 में 3.19 लाख टन, 2013-14 में 4.64 लाख टन तथा 2014-15 में 4.27 लाख टन हुआ था। वर्ष 2015-16 में 5.78 लाख टन तुअर उत्पादन का अनुमान लगाया गया है।

दालों की जमाखोरी करने वालों को होगी जेल

मध्य प्रदेश में दाल की कीमतों पर निगरानी रखने के लिये खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग ने जिला कलेक्टरों को व्यापारिक प्रतिष्ठानों की नियमित जाँच करने के निर्देश दिये हैं। दाल के व्यापार पर नियंत्रण के लिये लागू मध्यप्रदेश अनुसूचित वस्तु व्यापार आदेश में दाल के व्यापार पर नियंत्रण का प्रावधान किया गया है। इन प्रावधान में दाल प्र-संस्करणकर्ता और व्यापारियों पर कार्रवाई की जा सकती है। प्रदेश में यदि दलहन और दाल की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि होती है तो नियंत्रण आदेश का पालन करते हुए, जिला कलेक्टर को जाँच दल गठित कर विशेष जाँच अभियान चलाये जाने को कहा गया है। किसी व्यापारिक प्रतिष्ठान और प्र-संस्करणकर्ता द्वारा जमाखोरी करना पाये जाने पर दोषी प्रतिष्ठान के विरुद्ध आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम के तहत जेल भेजे जाने की भी कार्रवाई करने के लिये भी कहा गया है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का नाम बदला
भोपाल। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन को अब दीनदयाल अन्त्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन डीएवाय एनआरएलएम के नाम से जाना जायेगा। यह परिवर्तन भारत सरकार ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा किया गया है।
ग्रामसभाओं में कृषि मंत्री
नई दिल्ली। कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने ग्रामोदय से भारत उदय कार्यक्रम के तहत हरियाणा के गोयला कलां, बहादुरगढ़, झज्जर में ग्राम सभा की बैठक में भाग लिया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के हितों की सुरक्षा के लिए कदम उठा रही है।
भारत सरकार किसानों की मदद कर रही है और उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने का प्रयास कर रही है। राष्ट्रीय कृषि बाजार ई-एनएएम इसका एक उदाहरण है।

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