तापमान बढऩे से गेहूं को नुकसान, सरसों को फायदा
(विशेष प्रतिनिधि)
नई दिल्ली/भोपाल। उत्तरी भारत, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में तापमान अचानक बढऩे से किसान चिंतित हैं। विशेष रूप से वे किसान चिंतित हैं, जिन्होंने दिसंबर के आसपास देरी से फसल बोई थी।
हालांकि अभी स्थिति पूरी तरह हाथ से नहीं निकली है और अगले कुछ दिनों के दौरान तापमान में थोड़ी गिरावट से स्थिति में काफी सुधार होगा। भारतीय मौसम विभाग के एग्रोमेट डिवीजन के निदेशक डॉ. के.के. सिंह ने कहा, ‘तापमान में सामान्य बढ़ोत्तरी हुई है, इसलिये अभी स्थिति ज्यादा चिंताजनक नहीं है। लेकिन अगर गर्म मौसम अगले एक सप्ताह या 15 दिन बना रहा और उसके बाद तेजी से बढ़ता रहा तो गेहूं की खड़ी फसल के लिये कुछ दिक्कत हो सकती है।Ó
उन्होंने कहा कि इस समय पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गेहूं की फसल में बालियों में दाने भर रहे हैं। ‘ पिछले सप्ताह से तापमान में बढ़ोत्तरी का फसल पर ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। और इसकी भरपाई ज्यादा फसली रकबे से हो जाएगी। लेकिन यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो कुछ दिक्कत हो सकती है। हालांकि रबी सीजन की एक अन्य प्रमुख फसल सरसों के लिए तापमान में बढ़ोत्तरी फायदेमंद साबित हो सकती है क्योंकि ज्यादातर फसल पहले ही पक चुकी है। तापमान में बढ़ोत्तरी से नई फसल में नमी कम होगी और उसमें तेल की मात्रा बढ़ेगी।
तापमान में बढ़ोत्तरी से असली दिक्कत उत्तरप्रदेश के गेहूं किसानों को होगी, जिनमें से ज्यादातर ने अपनी फसल दिसंबर के आसपास देरी से बोई है। उत्तरप्रदेश में गेहूं की बुआई करीब 40 लाख हेक्टेयर में हुई है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक ‘गेहूं की फसल के लिये फरवरी में अधिकतम तापमान आदर्श रूप में 24 से 25 डिग्री के आसपास होना चाहिए, लेकिन पिछले कुछ दिनों में यह 28 से 29 डिग्री पर पहुंच गया है। अगर अगले 10 दिन ऐेसे ही रहे तो देरी से बोई गई गेहूं की फसल की उत्पादकता पर असर पड़ सकता है।Ó
इधर म.प्र. में भी तापमान में वृद्धि हो रही है। गत सप्ताह 30 डिग्री सेल्सियस तक अधिकतम तापमान पहुंच गया था परंतु हाल ही में पुन: गिरावट आ रही है। इस वर्ष प्रदेश में गेहूं की बोनी 64 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में की गई है तथा उत्पादन 210 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है। वहीं राज्य में रबी की प्रमुख तिलहनी फसल सरसों की बोनी लक्ष्य से अधिक क्षेत्र में हुई है। इस वर्ष 7.26 लाख हेक्टेयर में सरसों बोई गई है तथा 8 लाख टन से अधिक उत्पादन की उम्मीद है। इसी प्रकार चने की बोनी भी 32.52 लाख हेक्टेयर में की गई है तथा उत्पादन 37.70 लाख टन तथा मसूर की बोनी 5.86 लाख हेक्टेयर में हुई है और उत्पादन 6.66 लाख टन होने का अग्रिम अनुमान लगाया गया है।