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ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई के उन्नत यंत्र

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भारत में फसलोत्पादन के मुख्यत: दो मौसम खरीफ और रबी होते हैं। ग्रीष्मकाल में खेत मुख्यत: खाली पड़े रहते हैं। इसलिए अगली फसल की बुवाई की तैयारी एवं भूमि सुधार के लिए ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई का सर्वाधिक महत्व है। ग्रीष्मकालीन जुताई से खरपतवार एवं फसल अवशेष दब कर मिट्टी में मिल जाते हैं। नुकसानदायक कीड़े-मकोड़े एवं उनके अंडे तथा अन्य परजीवी नष्ट हो जाते हैं। इस गहरी जुताई से मृदा में वायु संचारण सुचारू तरीके से होता है। इसके साथ ही वर्षा जल का अन्त:सरण अधिक मात्रा में होता है जिससे भू – जलस्तर में भी वृद्धि होती है तथा भूक्षरण भी कम होता है।

ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई के लिए मुख्यत: एम. बी. प्लाऊ, तवा प्लाऊ, सब-स्वाइलर तथा कल्टीवेटर प्रयोग किये जाते हैं।

  • एम. बी. प्लाऊ
    यह एक ट्रैक्टर चालित कृषि यंत्र है जिसमे शेयर पाइंट, शेयर, मोल्ड बोर्ड, लैंडस्लाइड, फ्रॉग, शेंक, फ्रेम और थ्री पॉइंट हीच सिस्टम होते है। प्लाऊ का कार्य ट्रैक्टर की थ्री पॉइंट लिंकेज एवं हाइड्रोलिक सिस्टम द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इसके बार पॉइंट प्लाऊ को मिट्टी की सख्त सतह को तोडऩे में सक्षम बनाते है। इसका प्रयोग प्राथमिक जोत के ऑपरेशन (प्राईमरी टीलेज) हेतु किया जाता है। यह फसल अवशेषों को काटकर पूरी तरह से मिट्टी मे दबा देता है। इसका प्रयोग हरी खाद की फसल को मिट्टी में दबाकर सड़ाने के लिए भी किया जाता है। इसका प्रयोग मिट्टी मे कूड़ा-करकट द्वारा निर्मित खाद या चूने को इधर उधर खींचने तथा मिश्रित करने के लिए भी किया जाता है। यह पूर्णत: लोहे का बना होता है। इसमें नीचे लगा फाल मिट्टी को काटता है एवं फाल से लगा हुआ लोहे का मुड़ा हुआ प्लेट मिट्टी को पलटता है। अत: पेड़ के अवशेष मिटटी के अन्दर घुस जाते हैं।
  • डिस्क प्लाऊ
    डिस्क प्लाऊ में एक साधारण फ्रेम, डिस्क बीम असेम्बली, रॉकशाफ्ट, एक भारी स्प्रिंग फऱो व्हील और गेज व्हील शामिल होते है। कुछ डिस्क प्लाऊ के माडलों मे 2, 3 या 4 बॉटम चालित प्लाऊ होते हैं जो आवश्यकतानुसार सब-बीम को हटाकर या जोड़कर व्यवस्थित की जा सकती है। डिस्क के कोण 40 से 45 डिग्री तक वांछित कटाई की चौड़ाई के अनुसार तथा खुदाई के लिये 15 से 25 डिग्री तक व्यवस्थित किए जा सकते हैं। प्लाऊ की डिस्क उच्च कोटि के इस्पातीय लोहे द्वारा या सामान्य लोहे द्वारा निर्मित होते हंै तथा उनकी धार सख्त तथा पैनी होती है। डिस्क टेपर्ड रोलर बेरिंग पर लगी होती है। स्क्रेपर चिकनी मिट्टी में डिस्क पर मिट्टी जमने से बचाते हैं। फऱो स्लाइस राईड, करवेचर के साथ मिट्टी को विस्तृत करने से पूर्व बारीक कर देता है।
    इसका प्रयोग बंजर भूमि में तथा अप्रयुक्त भूमि में कृषि हेतु भूमि के प्रारम्भिक कटाव (टीलेज) प्रक्रिया के लिये विशेषत: सख्त एवं शुष्क, बंजर, पथरीली एवं ऊबड़-खाबड़ भूमि पर तथा जो भूमि कूड़े-करकट युक्त है पर किया जाता है। यह सूखी कड़ी घास तथा जड़ों से भरी हुई जमीन की जुताई के लिए उपयुक्त होता है।
  • सब-सॉयलर
    सालों-साल खेत को कम गहरे तक जुताई करने से खेत के नीचे की जमीन कठोर हो जाती है, जिस कारण जड़ें ज्यादा फ़ैल नहीं पाती और फसल की पैदावार में कमी आती है। अत: सब-सॉयलर द्वारा हमें 2 साल में खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए। सब-सॉयलर उच्च कार्बन स्टील से बनी बीम, बीम सपोर्ट जो ऊपर तथा नीचे के किनारों की ओर से बाहर निकले होते हैं, हॉलो स्टील अडाप्टर जो बीम के निचले छोर के साथ जुड़ा होता है और स्क्वेयर सेक्शन शेयर बेस को समायोजित करता है, उच्च कार्बन स्टील की शेयर प्लेट एवं शेंक जो सेट बोर्ड लगाने हेतु ड्रिल और काउन्टर बोअर किया गया होता है और उसका बेस एडाप्टर द्वारा सुरक्षित होता है। शेयर प्लेट उच्च कार्बन स्टील द्वारा निर्मित होती है जिसे गलाकर उपयुक्त कठोर बनाया गया होता है। द्वि-अनुकूलनीय बोल्ट-छिद्र शेयर प्लेट को उलट-पलट करते है। सब-सॉयलर की कार्य गहराई ट्रैक्टर की 3-पॉइंट लिंकेज एवं हाइड्रोलिक सिस्टम द्वारा नियंत्रित की जाती है। इसका प्रयोग मिट्टी की सख्त सतह को तोडऩे, मिट्टी को ढीला करने और मिट्टी में पानी पहुंचाने की व्यवस्था को उत्तम बनाने एवं अनप्रयुक्त पानी की निकासी के लिए किया जाता है। मिट्टी में पानी की छोटी नाली व ड्रेनेज चैनल बनाने के लिए मोल बॉल को इसके साथ जोड़ा जा सकता है।
  • कल्टीवेटर
    कल्टीवेटर एक अत्यंत बहुपयोगी उपकरण है क्योंकि इसे ग्रीष्मकालीन जुटी के साथ ही द्वितीयक जुताई के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे सीडड्रिल के लिए रूपांतरित किया जा सकता है। शोवेल (कुसिया) कल्टीवेटर केवल सूखी स्थिति में इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि मिट्टी को पलटने की बजाए यह मिट्टी को चीरता है और खरपतवार को काटकर और नोंचकर यह उन्हें सतह पर ला छोड़ता है। स्वीप की चौड़ाई 50 मिमी से 500 मिमी तक हो सकती है। इस कल्टीवेटर का वहां इस्तेमाल किया जाता है जहां फसल के अवशेषों को सतह पर लाकर छोडऩे की जरूरत होती है। ये हल 3-प्वाइंट लिंकेज माउंटेड या ट्रेलिंग वर्जन के रूप में कॉनफिगर किया जा सकता है।
  • ग्रीष्मकालीन यंत्रों का रखरखाव
    ग्रीष्मकालीन यंत्रों का अच्छी विधि से रखरखाव करने से इनकी कार्य क्षमता बढ़ जाती है व इन्हें अधिक दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। यंत्रों को रखने से पहले धुल कर साफ़ करके नमी मुक्त स्थान पर रखना चाहिए। यंत्र रखते समय जमीन से ऊँचाई पर जैसे प्लेटफ़ॉर्म बनाकर रखें। जिन यंत्रों में बेयरिंग हो उनकी सभी बेयरिंग में ग्रीसिंग करें। जंग से बचने के लिए यंत्रों में जंग रोधी पदार्थ लगाकर रखें।

 

– इंजी. हिमांशु त्रिपाठी
– डॉ. के. पी. सिंह द्य डॉ. आर. सी. सिंह
केन्द्रीय कृषि अभि.संस्थान, भोपाल (म.प्र.)
Email – himanshuciae@yahoo.in

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