खेत में डंठल उखाडऩे के लिए ‘चिमटा’
हमारा देश कपास उत्पादन में विश्व में द्वितीय स्थान पर है। प्रमुख तौर पर महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश आदि राज्य इसके उत्पादन में अहम भूमिका निभाते हैंं। कपास का उत्पादन मुख्यत: धागा बनाने एवं तेल के कारण होता है। इसके अलावा गठान और जड़ें इसकी उप-उत्पादन जाने जाते हैं। आकार में यह 1-1.2 मीटर ऊँचा और 10-30 मि.मी. व्यास का होता है। इसकी जड़ें 100-150 मि.मी. गहराई लेते हैं। जो कपास की कटाई के बाद जमीन से उखाडऩा बहुत मुश्किल है। एक हेक्टेयर से 2-3 टन डंठल निकलता है। पार्टीकल बोर्ड, ब्रिकेट, मशरूम उत्पादन, खाद निर्मिती आदि बनाने के कारण डंठल एवं जडं़े 4000-6000/- रू. प्रति हेक्टेयर का मुनाफा मुख्य उत्पाद के अलावा किसानों को मिलता हैं लेकिन उन्हें जमीन से उखाडऩा कठिन परिश्रम का काम होने के कारण किसान द्वारा उन्हें जमीन में ही छोड़ दिया जाता है। इसके अलावा किसानों को उखाडऩे के लिए निकालने के लिए अलग से समय न होना यह एक कारण है। इसलिए इन्हें निकालने के लिए किसान नई फसल लेने से पहले गहरी जुताई करते है जो जड़ें ढीली कर देती हैं। कुछ जगह पर इन्हें जमीन में ही रहने दिया जाता है। डंठल जमीन में छूटने से डंठल एवं तनों से जुड़े रोग नई फसल को प्रभावी कर सकती है। इसलिए जड़ के साथ डंठल निकालना समझदारी का काम होता है। इसके अलावा सिंचित क्षेत्र से होने वाली तुअर के डंठल भी निकालना काफी मुश्किल है।
डंठल उखाडऩे का चिमटा:
डंठल निकालने के लिए परंपरागत चिमटे सालों से इस्तेमाल में हैं। राज्यवार इन चिमटों का प्रकार बदल जाता है। चिमटा ऐसे ही प्रकार का है लेकिन इसे बनाने के लिए कुशल लोहार की जरूरत है। क्योंकि इसे बनाते समय चिमटे का एक भाग गरम करके मोडऩा पड़ता है। इसके अलावा बनाते समय निश्चित डिजाइन नहीं होता है। इसलिए ऊपर उल्लेखित सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए डंठल उखाडऩे का एक चिमटा केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल द्वारा डिजाइन किया गया है। जो 50 मि.मी. तक के डंठल बड़ी आसानी से जड़ से उखाडऩे की क्षमता रखता है। इसका डिज़ाइन इसे लिंग अनुकूल बनाता है। हल्का होने के कारण थकावट का अहसास कम होता है। यह चिमटा औसतन प्रति मिनट सात डंठल निकालता है। इसकी कार्य क्षमता 0.04 हेक्टेयर प्रति घण्टा है। पहाड़ी क्षेत्र एवं जहां विकसित औजार जो डंठल उखाडऩे के लिए बने है उन्हें खेतों तक पहुंचना मुश्किल है वहां पर यह चिमटा काफी फायदे वाला साबित होगा। किसानों के लिए जहां डंठल एक जलाऊ ईंधन है वहां यह वरदान स्वरूप है। यह बनाने में आसान होने के कारण छोटे से छोटा कारीगर भी बड़ी आसानी से बना सकता है।
ज्यादा जानकारी के लिए इस चिमटे का विशेष विवरण तालिका में दिया गया है।