केला में करपा के रोकथाम के लिये किसानों को दी सलाह
बुरहानपुर। उद्यानिकी, कृषि विज्ञान केन्द्र तथा कृषि विकास विभाग के अधिकारियों ने ग्राम जैनाबाद, खडकोद, दर्यापुर, सेलगांव, देव्हारी, फोफनार एवं रायगांव का भ्रमण कर फसलों का अवलोकन किया। जिसमें केला एवं हल्दी फसलों में लीफ-स्पॉट (करपा) के प्रारंभिक लक्षण दिखाई दिये गये हैं। अधिकारियों ने केला फसल में करपा के रोकथाम के लिये कृषकों को समझाईश दी। साथ ही चौपाल में किसानों को फसल संबंधी विस्तृत जानकारी भी दी गईं। अधिकारियों ने बताया कि बगीचों में करपा ग्रसित पत्तियों को पौधे से निकाल कर बगीचे से बाहर कर गड्ढे में दबा दिया जाये। साथ ही फफूंदनाशक दवा बाविस्टीन (कार्बेन्डाजिम) 2 ग्राम प्रति लीटर का प्रथम छिड़काव और प्रोपेकोनाजोल 2 ग्राम प्रति लीटर का द्वितीय छिड़काव किया जाये। उक्त छिड़काव 15 दिवस के भीतर पुन: करें इसके साथ प्रत्येक स्प्रे पम्प में बेनोल ऑयल (100 ग्राम प्रति पम्प) को मिलाकर छिड़काव करें। करपा की फफूंद ठंड के दिनों में ज्यादा क्रियाशील रहती हैं। इस मौसम में देखरेख के साथ-साथ फफूंदनाशक दवाईयों का निश्चित अन्तराल में छिड़काव करना आवश्यक हैं। भ्रमण में उप संचालक कृषि श्री एम.एस. देवके, उपसंचालक उद्यान, सुश्री शानू मेश्राम, कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अजीत सिंह, परियोजना संचालक (आत्मा) श्री राजेश चतुर्वेदी एवं उद्यानिकी अधिकारी श्री आर.एन.एस. तोमर सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।