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केंद्रीय बजट 2017 में कृषि के लिये प्रावधान

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केन्द्र सरकार के वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली ने विगत 1 फरवरी 2017 को केंद्र सरकार का वर्ष 2017-18 का बजट प्रस्तुत किया। वित्त मंत्री ने कृषि तथा कृषि से संबंधित कार्यों हेतु 187223 करोड़ रुपयों का प्रावधान रखा है जो पिछले वर्ष के प्रावधानों से 24 प्रतिशत अधिक है। किसानों को मिलने वाले ऋण को वर्तमान के एक लाख करोड़ से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2017-18 के लिये दस लाख करोड़ कर दिया है। किसानों को दस गुना ऋण की व्यवस्था निश्चित रूप से किसानों को समय-समय पर कृषि कार्यों के लिये पैसों की व्यवस्था को सुलभ कराने में अपना योगदान देगी। किसानों को कम अवधि के ऋण भी 3 लाख रुपयों तक प्राप्त हो सकेंगे। जिस पर किसानों को 7 प्रतिशत ब्याज देना होगा। जो किसान ऋण का भुगतान निश्चित समय पर कर देंगें, उन्हें 3 प्रतिशत ब्याज कम देना होगा और उन्हें इस ऋण पर 4 प्रतिशत ही ब्याज लगेगा। किसानों को कृषि कार्य हेतु धन की कब आवश्यकता पढ़ जाये यह निश्चित नहीं रहता इसलिए अब बैंकों का दायित्व बन जाता है कि किसानों को आवश्यकता पडऩे पर बिना विलम्ब ऋण मिल सके। केंद्रीय सरकार ने कृषि ऋण का लक्ष भी 10 लाख करोड़ रुपये निश्चित किया है। नाबार्ड की पूंजी को भी 40,000 करोड़ तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है जो सरकार की किसानों की सहायता के प्रति सोच को दर्शाता है।
सरकार  ने मौसम के बदलाव से फसल को होने वाली हानि किसान को न सहना पड़े इसके लिये भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिये 10,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा है। अब किसान भाईयों का दायित्व बन जाता है कि प्रत्येक किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़ें और प्राकृतिक विपदा से होने वाली फसलों की हानि से उसे कोई आर्थिक हानि न हो।
अच्छी उपज के लिये सिंचाई की आवश्यकता को देखते हुए सिंचाई के बजट रु. 20,000 करोड़ से बढ़ाकर रु. 40,000 करोड़ करने का प्रावधान रखा गया है। माइक्रो सिंचाई को बढ़ावा देने हेतु 2017-18 के बजट में रु. 5,000 करोड़ की प्राथमिक राशि का प्रावधान नाबार्ड के लिये रखा गया है। यह योजना सिंचाई प्रबंधन के लिये बहुत सहायक सिद्ध होगी। जिसका लाभ किसानों को लेना चाहिए।
किसानों के खेतों के स्वाईल हेल्थ कार्ड की गति को बढ़ाने की ओर भी वित्त मंत्री ने संकेत दिये हैं। देश के कृषि विज्ञान केंद्रों में मिनी मृदा परीक्षण लेब बनाने का प्रस्ताव है जो निश्चित ही किसानों को उर्वरकों के सही उपयोग के लिये प्रेरित करेगा और किसानों की आय अगले पांच साल में दुगनी करने के ध्येय में सहायक होगा।

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