किसान बन्धु स्थानीय प्रजातियों की फसलों का करवायें पंजीयन : डॉ. श्रीवास्तव
बड़वानी। बहुराष्ट्रीय कम्पनी के इस युग में भारतीय किसानों के अधिकारों का संरक्षण करने, उनके परम्परागत खेती के अधिकार को बरकरार बनाये रखने, किसानों की खोज, भारतीय फसलों के अनुवांशिकी जीन का संरक्षण करने के लिये सन् 2001 में किसान अधिकार अधिनियम बनाया गया है। हमें इस अधिकार के तहत हमारे क्षेत्र में सदियों से चली आ रही स्थानीय फसलों के किस्मों का पंजीयन तत्काल करवाना चाहिए, जिससे इनका पेंटेट बहुराष्ट्रीय कम्पनियां करवाकर हमारे किसानों का शोषण न करने पाये।
कृषि विज्ञान केन्द्र बड़वानी में आयोजित पौध किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार जागरूकता कार्यक्रम में उक्त बातें इन्दौर के कृषि वैज्ञानिक डॉ. डीके श्रीवास्तव ने कही। श्री श्रीवास्तव ने इस अवसर पर किसानों, विद्यार्थियों से आव्हान किया कि यदि किसी के पास बड़वानी का परम्परागत लाल-पीला पपीता, गुच्छे में लगने वाली काली मूंग, साठी मक्का, पिस्सी गेहूं का बीज है तो वह इनका पंजीयन अवश्य करवायेें।
कार्यक्रम के दौरान उपसंचालक कृषि श्री अजीत सिंह राठौर, संचालक आत्मा श्री बीएल पाण्डे, कृषि विज्ञान केन्द्र बड़वानी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसके बड़ेनिया ने भी किसानों को सम्बोधित करते हुये विश्व व्यापार संगठन के पेटेंट कानून की बारीकियों एवं इससे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से बताया।