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किसानों को मिली कुछ राहत रबी बोनी में तेजी आने की संभावना

(विशेष प्रतिनिधि)
नई दिल्ली/भोपाल। सरकार ने नोटबंदी की मार झेल रहे किसानों को राहत देते हुए उन्हें बीज खरीदने के लिए 500 रुपये के पुराने नोटों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। रिजर्व बैंक ने भी कृषि और आवास ऋण के भुगतान के लिए 60 दिन का अतिरिक्त समय दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में नकदी की कमी के कारण कुछ इलाकों में रबी की बुआई की रफ्तार धीमी पडऩे के संकेत मिले हैं। इसी के मद्देनजर सरकार ने यह कदम उठाया है। किसान 500 रुपये के पुराने नोट देकर केवल केंद्र और राज्य सरकार की संस्थाओं और कृषि विश्वविद्यालयों से बीज ले सकते हैं। इससे रबी बोनी में तेजी आने की संभावना बढ़ गई है।

  • कृषि एवं आवास ऋण के भुगतान के लिए 60 दिन का समय
  • 500 रुपए के पुराने नोट से केन्द्र और राज्य सरकार की संस्थाओं और विश्वविद्यालयों से बीज खरीदी की छूट
  • ओवर ड्रॉफ्ट और कैश क्रेडिट खाते से हफ्ते में 50 हजार निकालने की छूट
  • किसानों को सहकारी बैंकों के जरिए धन उपलब्ध कराएं

हालांकि बीज उद्योग से जुड़ी कंपनियों और विशेषज्ञों का कहना है कि इसका सीमित असर होगा क्योंकि रबी के मौसम में बोई जाने वाली सब्जियों के 80 फीसदी हाइब्रिड बीज निजी कंपनियों द्वारा बेचे जाते हैं। केवल गेहूं और अनाज के बीज खरीदने वाले किसानों को फायदा होगा।  उधर रिजर्व बैंक ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों के कर्जदारों की नकदी की समस्या को देखते हुए एक करोड़ रुपये तक के आवास, कार, कृषि एवं अन्य कर्ज के भुगतान के लिए 60 दिन का अतिरिक्त समय दिया है।  इस अवधि में बैंकों को ऐसे ऋणों को एनपीए की श्रेणी में नहीं दिखाने की छूट होगी। यह एक नवंबर और 31 दिसंबर के बीच भुगतान की जाने वाली किस्तों पर लागू होगा।
इस बीच वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने बैंकों से कहा है कि वे सहकारी बैंकों के जरिये किसानों को रबी सत्र के लिए धन उपलब्ध कराएं। सरकार का मानना है कि बुआई की गति मंद पडऩे का नोटबंदी से कोई लेना देना नहीं है लेकिन पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आ रही रिपोर्टों के मुताबिक कई स्थानों पर बुआई रुक गई है क्योंकि किसानों के पास बीज, कीटनाशक और खाद खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। अगर नगदी की कमी अगले कुछ सप्ताह जारी रहती है और बुआई में और देरी होती है तो इसका उत्पादन पर भारी असर हो सकता है क्योंकि रबी फसलों की बुआई के लिए नवंबर का महीना सबसे अहम माना जाता है।
मिट्टी में नमी और मानसून के कारण लबालब भरे जलाशयों के कारण रबी की भरपूर पैदावार होने की संभावना है लेकिन नोटबंदी के कारण मुश्किल बढ़ सकती है।

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