ई- राष्ट्रीय कृषि बाजार से कृषि उपज मंडी का बढ़ेगा व्यापार
इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार
भारत सरकार द्वारा 14 अप्रैल 2016 को इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नेम) की शुरूआत 23 मण्डियों में पायलट योजना के रूप में की गई। ई-नेम कृषि उत्पाद की पारदर्शी और कार्य कुशल खरीद और बिक्री के लिए अखिल भारतीय इलेक्ट्रानिक पोर्टल है। दस राज्यों की 250 कृषि उपज मण्डियों में ई-नेम प्लेटफार्म शुरू हो चुका है, जिसमें आंध्रप्रदेश की 12, छत्तीसगढ़ की 5, गुजरात का 40, हरियाणा की 36, हिमाचल प्रदेश की 7, झारखण्ड की 8, मध्य प्रदेश की 20, राजस्थान की 11, तेलंगाना की 44 और उत्तर प्रदेश की 64 कृषि उपज मण्डियां शामिल हैं। मार्च 2018 तक ई-नेम के प्रथम चरण में 585 मंडियों को जोडऩे का लक्ष्य है, जिसमें से मार्च 2017 तक 400 मंडियों को ई-नेम प्लेटफार्म से जोड़ा जायेगा। ई-नेम योजना में शामिल होने के लिये राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में कृषि उपज मण्डी अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है, जिसमें आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, गोवा, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मिजोरम, पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तराखण्ड, झारखण्ड, नागालैण्ड, हरियाणा, और चंडीगढ़ शामिल है।
ई-नेम के सफल कार्यान्वयन हेतु भारत सरकार द्वारा राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को अधोसंरचना विकसित करने के लिए हार्डवेयर, गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशाला आदि के लिए राशि उपलब्ध करायी जा रही है, इसके अलावा ई-नेम का मुुफ्त सॉफ्टवेयर एवं सहायता के लिए एक वर्ष के लिए एक सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ भी उपलब्ध कराया जा रहा है, जो मण्डी विश्लेषक की भूमिका निभायेगा। ई-पोर्टल में किसानों के लिए बिक्री के बाद ऑन लाईन भुगतान का प्रावधान किया गया है।
राज्यों/संघ शासित प्रदेशों द्वारा इसकी सफलता हेतु निम्न कदम उठाने होंगे।
- ई-नेम के अंतर्गत ई-व्यापार/ई-नीलामी में चयनित कृषि उत्पादों की 100 प्रतिशत मात्रा शामिल की जाये।
- मण्डी से मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं को लिंक किया जाये।
- ई-नेम के क्रियान्वयन हेतु आवश्यक निधि होना चाहिए। इसके लिए परियोजना आकलन समिति द्वारा अंशदान प्राप्त हो सकता है।
- प्रतिभागी को सेवा अनुबंध की 5 वर्षों की अवधि के बाद सभी प्रकार के व्यय का भार उठाना होगा।
- प्रतिभागी को सेवा अनुबंध की 5 वर्षों की अवधि के बाद सॉफ्टवेयर के वार्षिक रखरखाव के व्यय का भार उठाना होगा।
- क्रियान्वयन संस्था का पोर्टल में पंजीयन करना होगा तथा इसकी सूचना बैंक की विस्तृत जानकारी सहित कृषि सहकारिता एवं कृषक कल्याण विभाग को देनी होगी।
ऐसे राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में जहां कृृषि उपज मण्डी अधिनियम लागू नहीं हैं, वहां ई-नेम लागू करने के लिए कोई दबाव नहीं डाला जायेगा। ऐसे राज्य/संघ शासित प्रदेश ई-नेम पोर्टल द्वारा योजना का अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। ऐसी संस्थाओं, संगठनों की पहचान दिशा निर्देशों के अनुसार की जायेगी। निजी बीजारों को परियोजना आकलन समिति द्वारा ई-नेम पोर्टल में शामिल किया जायेगा, जिसकी अनुशंसा सक्षम अधिकारी द्वारा की जायेगी। इस पोर्टल में आवश्यक सुविधाओं का प्रवधान होगा, जैसे- व्यापारियों की सूची बनना, व्यापारियों या क्रेताओं का पंजीयन करना, लेन-देन शुल्क आदि का प्रावधान।
कृषि उपज मण्डी समिति को सहायता परियोजना आंकलन समिति के अनुमोदन के बाद प्राप्त होगी, जिसके लिए राज्यों/संघ शासित प्रदेशों या उनकी संस्थाओं द्वारा विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन निर्धारित प्रपत्र में दस्तावेजों के साथ अनुमोदन हेतु प्रस्तुत करना होगा। प्रस्ताव का अनुमोदन एवं सहायता राशि जारी करना ई-नेम बाजार इंटीग्रेशन के लिए राज्यों/संघ शासित प्रदेशों और उनकी संस्थाओं द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों की छटाई की जायेगी। इसके एकमुश्त अनुदान के लिए परियोजना आंकलन समिति द्वारा स्वीकृति दी जायेगी, इस समिति में कृषि, सहकारिता एवं कृषक कल्याण विभाग के सचिव अध्यक्ष तथा अन्य सदस्य होंगे:
- अतिरिक्त सचिव, विपणन, सदस्य
कृषि सहकारिता एवं कृषक
कल्याण विभाग - ए.एस. एण्ड एफ.ए., कृषि सदस्य
सहकारिता एवं कृषक
कल्याण विभाग - प्रबंध संचालक, लघु कृषक सदस्य
कृषक व्यवसाय कंसोरटियम - कृषि उत्पादन आयुक्त/सचिव, सदस्य
- संयुक्त सचिव (विपणन), सदस्य
कृषि सहकारिता एवं
कृषक कल्याण विभाग
बजट प्रावधान एवं प्रबंधन
स्थिर लागत और सार्वजनिक ई. प्लेट फार्म की लागत के लिए 200 करोड़ रूपये का प्रारम्भिक आवंटन दिया जायेगा
(अ) 585 बाजारों को स्थिर लागत की एकमुश्त राशि 30 लाख रूपये प्रति बाजार की दर से दी जायेगी।
(ब) सार्वजनिक ई-प्लेटफार्म के लिए सॉफ्टवेयर की लागत, वार्षिक रखरखाव, डेटा सेंटर, सर्वर, प्रशिक्षण एवं प्रशासनिक लागत हेतु राज्यों द्वारा साफ्टवेयर नि:शुल्क दिया जायेगा।
क्लियरिंग एवं निपटारा
एक बार व्यापार सुनिश्चित हो जाने पर ई-नेम साफ्टवेयर द्वारा स्वत: प्राथमिक चालान जारी कर दिया जायेगा तथा उसे संबंधित डेशबोर्ड या व्यापारी को ई-मेल या एस.एम.एस. द्वारा भेज दिया जायेगा। क्रेता द्वारा विक्रय अनुबंध के अनुसार आर.टी.जी.एस./नेफ्ट द्वारा राशि जमा की जायेगी, इस राशि में मण्डी शुल्क, दलाली, उतारने-चढ़ाने का शुल्क तथा पैकेजिंग शुल्क शामिल होगा।