Uncategorized

आया जायद की मूंगफली लगाने का समय

Share

मूंगफली की जायदकालीन खेती में वैज्ञानिक तकनीकियों को अपनाकर उत्पादकता बढ़ा सकते हैं-
भूमि एवं तैयारी– हल्की बलुई मिट्टी जल निकास अच्छा हो, खेत की जुताई 12-18 से.मी. की गहराई तक अच्छी तरह करें जिससे मूंगफली की जड़ एवं खूंटी (पेगिंग) का फैलाव ठीक से हो सके।
बुवाई समय – अगेती आलू एवं सरसों काटने के बाद अर्थात् 15 फरवरी से 15 मार्च तक जायदकालीन ध्यान रखें सामान्यत: दिन का तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहे कर देनी चाहिये।
बीज दर – अगेती किस्मों में 80 कि.ग्रा. मध्यम अवधि की किस्मों के लिये 90-110 कि.ग्रा. बीज दर प्रति हेक्टर प्रयोग करें।
बुवाई विधि– बीजों को फफूंदनाशी, जैव उर्वरकों से उपचारित कर 4-5 से.मी. गहरा तथा कतारों में 30-45 से.मी. तथा बीजों की दूरी 10-15 से.मी. रखकर करनी चाहिये। बुवाई ब्रॉड बेड फरो की प्रणाली अधिक लाभकारी पायी गयी है।
खाद एवं उर्वरक – खेत की अंतिम जुताई के समय 3-4 टन गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट डालें तथा जिप्सम का प्रयोग 200-250 कि.ग्रा. प्रति हेक्टर की दर से करें। जिप्सम में 24 प्रतिशत कैल्शियम एवं 18.6 प्रतिशत सल्फर होता है जिससे फली का आकार बढ़ा, दाने में तेल का प्रतिशत भी बढ़ाता है। नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश का प्रयोग मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर करें। सामान्यत: उर्वरक के रूप में 20:60:20 कि.ग्रा./है. नत्रजन, फॉस्फोरस व पोटाश का प्रयोग आधार खाद के रूप में करना चाहिए।
उन्नत किस्में –   जी.जी. 2, जी.जी. 20, जे.एल. 501, जे.जी.एन. 3, जे.जी.एन. 23, डी.एच. 86, आई.सी.जी.बी. 91114 प्रमुख है।
सिंचाई – मूंगफली में सिंचाई की तीन क्रांतिक अवस्थाएँ हैं-फूल निकलने के समय, खूंटी/फली (पेगिंग) निकलने के समय एवं फली बनने के समय सामान्यत: खरीफ  में सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
निराई-गुड़ाई एवं मिट्टी चढ़ाना – फसल में 25-30 दिन बाद एक निराई गुड़ाई करनी चाहिए। इससे जड़ों का फैलाव अच्छा होता है साथ ही भूमि में वायु संचार भी बढ़ता है और मिट्टी चढ़ाने का कार्य स्वत: हो जाता है, जिससे उत्पादन बढ़ता है।
खुदाई एवं भंडारण – फसल तैयार होने के समय की अवस्था में फली का छिल्का अंदर से सफेद से काला/भूरा रंग का होने लगता है एवं बीज पर्ण पतली झिल्ली जैसा हो जाता है। इसी अवस्था में फसल की खुदाई कर लेना चाहिये। 7-10 दिन सुखाकर (8-9 प्रतिशत) नमीं स्तर आने पर साफ  कर जूट के बोरों में चूहे के प्रकोप रहित स्थान पर ही भण्डारित करना चाहिये।

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *