Editorial (संपादकीय)

आधुनिक खेती में है  संभावनाओं का द्वार

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भारत शुरू से ही कृषि प्रधान देश रहा है। यहां की आबादी के 70 फीसद लोग कृषि से सीधे जुड़े हैं। कृषि पर इतनी बड़ी आबादी की निर्भरता कृषि विज्ञान में रोजगार की असीम संभावनाओं का द्वार खोलती है। कुछ नया कर दिखाने वाले, नए विचार देने वाले, रचनात्मक कार्यों में रूचि दिखाने वाले युवक-युवतियों के लिए कृषि उद्योग में अच्छे वेतन और सरकारी, निजी व बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम के अच्छे अवसर उपलब्ध हो सकते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, आजादी के बाद सबसे बड़े सेक्टर्स में से एक कृषि से संबंधित जॉब्स की तरफ युवाओं का काफी रुझान बढ़ा है। एक अनुमान के मुताबिक, ग्रामीण जॉब समझे जाने वाले कृषि से संबंधित कोर्स करने वालों में शहरी युवा की संख्या 52 फीसद तक बढ़ गई है। अगर इसी तरह की लोकप्रियता रही, तो कृषि आने वाले समय में सबसे अधिक रोजगार और पैसा देने वाला क्षेत्र बन सकता है। सरकार भी इसकी महत्ता को समझते हुए दूसरी हरित क्रांति की तैयारी कर रही है। निरंतर विकास का ही परिणाम है कि कभी दूसरों के सामने कटोरा लेकर खड़ा रहने वाला भारत खुद अनाज का कटोरा बन गया है। इसके लिए सबसे बड़ी जिम्मेदार रही 60-70 के दशक में आई हरित क्रांति, जिसने देश के गोदामों को न केवल अनाज से भर दिया, साथ ही देश की रगों में भर दिया उससे भी ज्यादा आत्मविश्वास। शायद यह पहली बार कृषि की उपजाऊ जमीन से मिला भरोसा था जिससे हमें दूसरे सेक्टर्स में भी शानदार प्रदर्शन में मदद मिली। आगामी 15-20 सालों में इस जीत का सुर्ख हरा रंग देश के हर गांव, हर खेत में नजर आने लगा। इस दौरान प्रति हेक्टेयर अनाज उत्पादन में दस गुने से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई, खाद्य निगमों के गोदाम भर गए और अकाल की मार से त्रस्त जनता के लिए भुखमरी गुजरे जमाने की बात हो गई। जब मिट्टी में मेहनत की पौध रोपी जाएगी, उसे पसीने से सींचा जाएगा तो नतीजे तो चमत्कारी आएंगे ही। पिछले दशकों में हमारे ऐसे ही कुछ प्रयास आज रंग ला रहे हैं।
आमतौर पर लोग कृषि विज्ञान का मतलब खेती बाड़ी ही लगाते हैं। लेकिन कृषि विज्ञान पाठ्यक्रम व्यापक है जिसके अन्तर्गत फसलों की निगरानी, आनुवंशिकी और पादप प्रजनन फसलों की देख-रेख, आनुवंशिकी और पादप प्रजनन, फसलों पर लगने वाले कीड़ों का नियंत्रण, पौधों में लगने वाली बीमारियों का अध्ययन, मिट्टी की गुणवत्ता से संबंधित विषयों की जानकारी और उसके भीतर के लाभदायक जीवाणुओं के बारे में अध्ययन और उसे उर्वर बनाए जाने हेतु जानकारी हासिल की जाती है।
कृषि में स्नातकोत्तर डिग्री के बाद सरकारी क्षेत्र में सहायक प्राध्यापक और वैज्ञानिक के रूप में रोजगार उपलब्ध हैं। कृषि क्षेत्र में हो रहे नित नए-नए अनुसंधानों के बाद निजी क्षेत्र इस व्यवसाय में अपना स्थान बनाने की कोशिश कर रहा है। इससे कैरियर के अवसर में भारी इजाफा हुआ है। वहीं एग्रीक्लीनिक और एग्री-बिजनेस के नाम से स्वरोजगार भी शुरू कर सकते हैं। साथ ही मुधमक्खी पालन और मुर्गी पालन जैसे रोजगार भी शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा विश्वविद्यालायों में शोध कार्य आरंभ कर फेलोशिप के तौर पर साढ़े छह हजार रुपए हर महीने पा सकते हैं। शोध कार्य पूरा करने के बाद सरकारी और निजी क्षेत्रों में वैज्ञानिक का पद पा सकते हैं।

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