समाधान- इसके लिये गहरी उपजाऊ तथा अच्छे निकास वाली भूमि की आवश्यकता होती है। मिट्टी में पर्याप्त जैविक पदार्थ होना चाहिए। इसे जायद तथा खरीफ दोनों ऋतुओं में लिया जा सकता है।
- डोलियों 45 से.मी. की दूरी पर बनाये तथा 30 से.मी. दूरी पर कंदों की रोपाई 7-8 से.मी. गहराई पर करें। एक एकड़ में 3-4 क्विंटल कंदों की आवश्यकता होगी।
- प्रमुख जातियां श्री रश्मि, श्री पल्लवी, संतमुखी, सी-7 हैं। अधिकांश किसान स्थानीय जाति ही लगाते हैं।
- इसके लिए 80 क्विंटल गोबर खाद, 40 किलो नत्रजन, 25 किलो फास्फोरस तथा 40 किलो पोटाश प्रति एकड़ बोनी के पूर्व देना होगा। 40 किलो नत्रजन खड़ी फसल में एक-एक माह के अंतर से दें। आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहे। गर्मी की फसल में अधिक सिंचाई देनी होंगी। बीमारी के नियंत्रण के लिये बीज को वीटावैक्स 3 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित कर लगाये, खड़ी फसल की पत्तियों पर झुलसा रोग के लक्षण दिखते ही मेन्कोजेब 800 ग्राम प्रति एकड़ के मान से छिड़काव करें।
– गौरीशंकर मुकाती, सीहोर