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अनुसूचित जनजाति समाज को शिक्षित बनाने का दृढ़-संकल्प

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आदिवासी समाज को मुख्यधारा में लाने की सरकार की कोशिशों ने उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर अवसर दिये हैं। प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक सुविधाएँ और संसाधनों के विस्तार से सरकार ने बताया है कि वह अनुसूचित जनजाति वर्ग को शिक्षित बनाने के लिये दृढ़-संकल्पित है।
आदिवासी क्षेत्रों में शैक्षिक स्तर को उत्कृष्ट बनाने के सरकार के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम आने भी लगे हैं। आदिवासी विकासखंडों में संचालित शासकीय विद्यालयों का सुदृढ़ीकरण कर विद्यार्थियों को विज्ञान तथा समसामयिक विषयों में अध्ययन के लिये बेहतर सुविधाएँ दी गई हैं। इसके लिये व्यवस्थित एवं उन्नत प्रयोगशालाओं और आधुनिक पुस्तकालयों की स्थापना एवं खेल-कूद की भी बेहतर सुविधाएं दी जा रही हंै।
वर्ष 2015 की जे.ई.ई. एडवांस परीक्षा में आदिवासी विभाग द्वारा संचालित शासकीय स्कूलों से 8 विद्यार्थी देश के विभिन्न आई.आई.टी. में प्रवेश पाने में सफल रहे हैं। जे.ई.ई. मेन्स में इन विद्यालयों से लगभग 135 विद्यार्थी सफल हुए हैं, जिनका प्रवेश पात्रता के आधार पर विभिन्न राष्ट्रीय तकनीकी संस्थानों में भी हो रहा है। इसी वर्ष राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षा क्लेट में भी 14 आदिवासी विद्यार्थी सफल होकर विभिन्न राष्ट्रीय विधि संस्थानों में प्रवेश हुए हैं। राज्य सरकार देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश लेने वाले आदिवासी विद्यार्थियों को पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति के अलावा अन्य देय सभी शुल्कों की प्रतिपूर्ति भी करेगी।

अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों के लिये महाविद्यालय स्तर पर छात्रावास अलग तथा 9 से 12वीं तक के लिये अलग-अलग छात्रावास शुरू करने का निर्णय लिया गया है। कक्षा 11वीं और 12वीं के छात्रावासी विद्यार्थियों को भी अब प्री-मेट्रिक की भाँति शिष्यवृत्ति दी जायेगी।
आदिवासी अंचलों में कम्प्यूटर ज्ञान को बढ़ावा देने के लिये प्रथम चरण में 246 आवासीय संस्थाओं में इंटरनेट की सुविधा के साथ कम्प्यूटर लेब की स्थापना की जा रही है। भविष्य में सभी छात्रावासों में इस योजना का विस्तार किया जायेगा।
आदिवासी विद्यार्थियों की उच्च शिक्षा के लिये आवासीय समस्याओं का निराकरण करने आवास सहायता योजना शुरू की है। इससे लगभग 26 हजार महाविद्यालयीन आदिवासी विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं। प्रतिवर्ष 20 कन्या शिक्षा परिसर भी शुरू किये जा रहे हैं। इन परिसरों की क्षमता दुगनी की जा रही हैं। प्रदेश में आदिवासी विकास स्कूलों में प्रतिवर्ष 40 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तथा 20 हाई स्कूल खोले जा रहे हैं। इसके अलावा 20 उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में अतिरिक्त संकायों की स्थापना भी की जाती है। इस वर्ष 20 नवीन पोस्ट मेट्रिक छात्रावास, 20 प्री-मेट्रिक छात्रावास तथा 10 आश्रम शाला प्रारंभ की जायेगी। इसके साथ 40 कन्या शिक्षा परिसर के भवन के लिये 40 करोड़, पाँच क्रीड़ा परिसर के लिये 5 करोड़, 40 छात्रावास भवन के लिये 40 करोड़ तथा 40 आश्रम के भवन के निर्माण के लिये 20 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 19 जुलाई 2015 को अपने निवास पर अनूसूचित जाति, जनजाति के उन विद्यार्थियों को सम्मानित किया, जिन्होंने आई.आई.टी. की प्रारंभिक और अंतिम परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर आई.आई.टी. और एन.आई.टी. में प्रवेश पा लिया है। क्लेट की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर देश के उच्च विधि संस्थानों में प्रवेश प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को भी सम्मानित किया गया। बारहवीं में अनुसूचित जाति, जनजाति के विद्यार्थियों को 75 प्रतिशत अंक लाने पर लेपटाप भी देने की योजना है। सम्मानित विद्यार्थियों को लेपटॉप के लिये 25 हजार की राशि का प्रमाण-पत्र, पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी अग्नि की उड़ान (विंग्स ऑफ फायर) भेंट की गई। दसवीं कक्षा में उत्कृष्ट अंक पाने वाले विद्यार्थियों को भी प्रोत्साहन स्वरूप साइंटिफिक केलकुलेटर और अंग्रेजी हिन्दी शब्द कोष भेंट किया गया।
निजी इंजीनियरिंग, मेडिकल कॉलेजों और अन्य उच्च संस्थानों में आदिवासी विद्यार्थियों की पढ़ाई का पूरा खर्चा सरकार द्वारा उठाया जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा छात्रावासों में ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिये भी भोजन की व्यवस्था होगी। गाँवों से शहरों में महाविद्यालयीन पढ़ाई के लिये आने वाले विद्यार्थियों को मुख्यमंत्री छात्र गृह सहायता योजना में किराये पर कमरा लेकर पढ़ाई करने की सुविधा सरकार दे रही है। पढ़ाई के लिये वर्तमान में जो सुविधाएं मिल रही हैं उनमें भी बढ़ोत्तरी की जायेगी। सभी आवासीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में वर्चुअल कक्षाएं शुरू की जायेंगी।
प्रदेश सरकार कमजोर वर्गों के चेहरों पर मुस्कान और उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ता देखना चाहती है। अनूसूचित जातियों-जनजातियों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास के किये गये प्रयासों में राज्य के कुल बजट का 21 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 14 प्रतिशत अनुसूचित जाति के विकास पर खर्च किया जा रहा है।

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