सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह (18-24 जुलाई )
18 जुलाई 2022, इंदौर: सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह (18-24 जुलाई ) – भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर ने 18 से 24 जुलाई की अवधि के लिए सोयाबीन कृषकों को उपयोगी सलाह दी है, जो इस प्रकार है –
सोयाबीन की खेती किए जाने वाले क्षेत्रों में इस वर्ष बोवनी की तत्थ्यों में भिन्नता देखी गई है। कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन फसल 4 सप्ताह की, जबकि कुछ क्षेत्रों में 2-3 सप्ताह की हुई है, अतः उक्त परिस्थिति में सोयाबीन कृषकों के लिए निम्न कृषि कार्य अपनाने की सलाह है –
1 -कई क्षेत्रों में लगातार कई दिनों से अत्यधिक वर्षा होने के समाचार हैं, अतः अपने खेत से अतिरिक्त जल- निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
2 – जहाँ फसल 15-20 दिन की हो गई है, और अभी तक किसी भी प्रकार केखरपतवारनाशक का प्रयोग नहीं किया है तो, सलाह है कि सोयाबीन फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए अनुशंसित खड़ी फसल में उपयोगी किसी एक रासायनिक खरपतवारनाशक का छिड़काव करें ( तालिका 1 देखें )।
3 – सोयाबीन की बोवनी करते समय यदि आपने बोवनी पूर्व या बोवनी के तुरंत बाद उपयोगी खरपतवारनाशक का छिड़काव किया है, 20-30 दिन की फसल होने पर डोरा/कुलपा चलाएं।
4 -जिन्होंने बोवनी पूर्व या बोवनी के तुरंत बाद उपयोगी खरपतवारनाशकों का अभी तक प्रयोग नहीं किया है, सलाह है कि अनुशंसित कीटनाशकों के साथ संगतता पाए जाने वाले वाले निम्न खरपतवारनाशक एवं कीटनाशकों में से किसी एक को मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है।
(1)कीटनाशक: क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली /हे) या क्विनाल्फोस 25 ई.सी (1 ली/हे) या इन्डोक्साकर्ब 15.8 एस.सी (333 दम.ली./हे)(2) खरपतवारनाशक: इमाज़ेथापायर 10 एस.एल (1 ली/हे) या क्विजालोफोप इथाइल 5 ई.सी (1 ली/हे)।
5 – जहाँ पर फसल 15-20 दिन की हो गई हो, पत्ती खाने वाले कीटों से सुरक्षा हेतु फू ल आने से पहले ही सोयाबीन फसल में क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली /हे)का छिड़काव करें। इससे अगले 30 दिनों तक पर्ण भक्षी कीटों से सुरक्षा मिलेगी।
6 – कु छ क्षेत्रों में सोयाबीन फसल में तना मक्खी का प्रकोप होने के लक्षण देखे गए हैं। इसके नियंत्रण हेतु सलाह है कि पूर्व मिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली ./हे.) का छिड़काव करें।
7 – कुछ क्षेत्रों में तम्बाकू की इल्ली का प्रकोप होने के समाचार प्राप्त हुए हैं। इसके नियंत्रण हेतु निम्न में से किसी एक कीटनाशक का छिड़काव करने की सलाह है। इससे पत्ती खाने वाली अन्य इल्लियां (चने की इल्ली या सेमीलूपर इल्ली) का भी नियंत्रण होगा।
लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.90 सी.एस. (300 मिली /हे) या क्विनालफॉस 25 ई.सी. (1 ली/हे) या क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी (150 मिली /हे) या इमामेक्टिन बेंजोएट 01.90 (425 मिली /हे) या ब्रोफ्लानिलिडे 300 एस.सी. (42-62 ग्राम/हे) या फ्लूबेन्डियामाइड 20ड्ल्यू.जी. (250-300 ग्राम/हे) या फ्लूबेन्डियामाइड 39.35एस.सी (150 मिली /हे) या इन्डोक्साकर्ब 15.8एस .सी. (333 मिली /हे) या प्रोफेनोफॉस 50ई.सी . (1 ली/हे) या स्पायनेटोरम 11.7एस.सी (450 मिली /हे) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली /हे)।
8 -कुछ क्षेत्रो में रायजोक्टोनिया ऐरिअल ब्लाइट का प्रकोप होने की सूचना प्राप्त हुई है। कृषकों को सलाह है कि नियंत्रण के लिएहेक्साकोनाझोल 5%ईसी (1 मिली /ली पानी ) का छिडकाव करें।
तालिका 1: सोयाबीन की खड़ी फसल में उपयोगी अनुशंसित खरपतवारनाशकों की सूची संलग्न है –
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